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3 अक्तूबर, 1957 से विविध भारती के स्थापना दिनसे ही रेडियो सुनने की शुरूआत । ८ साल की उम्रसे ।

रविवार, 31 जुलाई 2011

'यादें महम्मद रफ़ी' रेडियो पर 'जायेगा जब जहाँ से' (फिल्म मोती महल)

आज रेडियो श्री लंका और आकाशवाणी के कई केन्दों ने स्व. महम्मद रफ़ी साहब को श्रद्धांजली प्रस्तूत करते हुए कई कार्यक्रम पूरे दिन प्रसारित किये और रात्री भी होते रहेगे । पर एक बात इस बार ख़ास नझर में आयी कि उपर लेख़ के शिर्षक में बताया हुआ गाना मैनें अपने संग्रहमें कुछ महिने पहेले संगीतकार हंसराज बहल के श्रद्धांजली कार्यक्रम से रेडियो सिलोन से नेट प्रसारण से पाया था । जब कि विविध भारती से आज हमारे साथी श्री युनूस ख़ान द्वारा माईक्रोफ़ोन से प्रस्तूत विषेष फोन (कि वास्तव में फोन आऊट ?) कार्यक्रममें प्रस्तूत हूआ जो विविध भारती से कम से कम मेरे सुननेमें पहली बार आया । तो सवाल यह उठता है कि विविध भारतीने अब भी ऐसे कई गाने अपने पास चूस्त रूप से दवा कर रख़े है जो कभी चूस्ती कम होने के कारणॅ एकाद बार ही सुनने मिलते है । इस गाने के लिये अतिरीक्त जामनकारी इस प्रकार है कि इसे रफ़ीजी का साथ उस बार की मधूबाला झवेरी और आज की मधूबाला चावला (जिसे करीब लम्बे समय पहेले मूम्बई के एक पुस्तक प्रकासन सम्हारोहमें प्रेक्षागार से मंच पर देख़ने और सुनने का मोका मिला था ) है और इसे हंसराज बहलने संगीत से संवारा है और गीतकार असद भोपाली है । जो बात आज के कार्यक्रम में स्वाभाविक रूप से ही नहीं चर्चीत हुई । तो इस बात के तीन और उदाहरण है ।
(1) दिल दिल से मिला कर देख़ो -फिल्म मेम साब, गायक स्व. किशोर कूमार और संगीत मदन मोहन का जो सिर्फ़ सालो पहेले किशोरदा के लिये विषेष हल्लो फरमाईश कार्यक्रममें मेरी फ़रमाईश पर प्रथम और अंतीम बार बजा था । ( जो रेडियो सिलोन द्वारा मेरे जाननेमें आया था कई सालों से)
(2) मूना बड़ा प्यारा (फिल्म-मूसाफ़िर, गायक किशोर कूमार संगीत स्व. सलिल चौधरी और गीत स्व. शैलेन्द्रका और फिल्म ऋषिकेश मुकरजी की निर्देशित ) जो स्वर्णजयन्ती के विषेष मन काहे गीत में विविध भारती से प्रथम और अब तक की अंतीम बार बजा था । (यह गामा भी रेडियो सिलोन से कभी कभी बजता रहा है ।)
(3) याद किजीये युनूसजी द्वारा प्रस्तूत कुछ समय पहेले का जिज्ञासा कार्यक्रम जिसमें टाईपराईटर के उत्पादन पर उत्पादको द्वारा रोक की बात युनूसजीने की थी तब एक झलक बजी थी 'टाईपराईटर हिप (4) करता है जो मैनें रेडियो सिलोन से पाया है फ़रमाईश करके और इसको किशोर और आशाजी की सदाबहार जोडीने गाया है, इन्ग्लीश फिल्म बोम्बे टॉकी के लिये जिसे संगीत से सजाया है शंकर जयकिसन ने ।
तो इस प्रकार कई उदाहरण आने वाले दिनोंमें भी मिलेंगे । क्या यह रीत सही है कि ऐसी चीजों को चिपाके रख़े विविध भारती की केन्द्रीय सेवा ?
स्व. महम्मद रफ़ी साहब को रेडियो विश्व की और से भी श्रद्धांजलि पर इस बारेमें सारे दिन कई जगहों से इतना कहा और लिख़ा गया है कि मैं कुछ नया नहीं लिख़ सकता ।
पियुष महेता ।
सुरत -395001.

बुधवार, 13 जुलाई 2011

हिन्दी फिल्म संगीत के महान सेक्षोफोन वादक स्व. मनोहरी सिंध- प्रथम पूण्य तिथी पर विनम्र श्रद्धांजली

आज भारतीय फिल्म संगीत के महान सेक्षोफोन और वेस्टर्न फ्ल्यूट वादक स्व. मनोहरी सिंध की मृत्यू को एक साल बित गया और अभी ऐसा लगता है कि कल की बात हो । तो आज रेडियो विश्व पर उनको श्रद्धांजली अर्पीत करते हुए उनकी फिल्मी जीवन के शुरूआती दौर की एक 78 आर पी एम रेकोर्ड में से फिल्म समाधी के गीत गोरे गोरे ओ बाँके छोरे की सेक्षोफोन पर उनकी बजाई हुई धून का अंश प्रस्तूत करता हूँ, जो कुछ ही समय पहेले रेडियो श्रीलंका- हिन्दी सेवा की ताझा उद्दघोषिका श्रीमती रूबी स्मिता द्वारा वाद्य संगीत कार्यक्रममें प्रस्तूत की गई थी, जो मूझे एस एल बी सी के इन्टरनेट प्रसारण में से प्राप्त हुई है । इनके बारेमें अन्यत्र कई बातें लिख़ी गई है और विविध भारतीसे उनकी मुलाकातों में भी उन्होंने खूद कहीं है उनको यहाँ दोहरानेका इरादा नहीं है ।

पियुष
महेता
सुरत-395001.

शनिवार, 2 जुलाई 2011

एक सर्वे- मेट्रो शहरोंमें विविध भारती श्रवण की स्थिती

आज देरीसे ही सही मुन्ना कूमार यादवजी का सर्वे पर प्रतिभाव पढ़ा और साथ भारतीजी की टिपणी भी देख़ी । पर इन दोनों को ज्ञात होना चाहीए कि मेट्रो शहरोमें सिर्फ़ बेन्गलोर में ही विविध भारती एफ एम पर प्रसारित होता है, जब कि मूम्बई, दिल्ही, कल्कत्ता और चेन्नाईमें मध्यम तरंग पर । और इन चारों शहरोमें आकाशवाणी के दो दो एफ एम रेईनबो और एफ एम गोल्ड सहीत अन्य नीजी कई चेनल्स एफ एम पर प्रसारित् होते है । और इससे पूरा एफ एम बेन्ड ऐसा भर जाता है कि जरासी सूई घूमी की स्टेशन बदल गया । तो आज मोबाईल के यूगमें मिडीयम वेव पर कौन सुन पायेगा जो मुम्बईमें भी दक्षिण मुम्बई से प्रसारित होते हुए भी मलाडमें ट्रान्समीटर होने के कारण सिर्फ़ उत्तर मुम्बईमें ही सही रूपसे आज सुनाई पडता है ? सरकारी नितीयाँ ही कुछ ऐसी होती है कि समझमें नहीं आती या मनमें कुछ ज्यादा समझमें आती है पर बोल नहीं सकते । मेरी मुम्बई यात्रा के दोरान मूझे विविध भारती सिर्फ़ विविध भारती स्टेशन पर ही ड्यूटी रूम, या उद्दघोषको ( प्रसारण कक्ष की बात यहाँ नहीं है, क्यों कि सजीव प्रसारण दौरान वहाँ जाया नहीं जाता, सिर्फ कन्ट्रोल रूम से दिख़ता और सुनाई पडता है । ) के रूम को छोड़ सारे शहरमें सुन नहीं पाते, जब कि काफ़ी लोगो के पास शॉर्ट वेव और मिडीयम वेव वाले रेडियो ही नहीं होते है । तो इस सर्वे में कोई गलती मूझे नहीं दिख़ती है ।

पियुष महेता ।

नानपूरा-सुरत-395001.