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3 अक्तूबर, 1957 से विविध भारती के स्थापना दिनसे ही रेडियो सुनने की शुरूआत । ८ साल की उम्रसे ।

रविवार, 28 अगस्त 2011

20 अगस्त, 2011-विश्व श्रोता दिन -पैठन महाराष्ट्र में -उमरख़ॆड से अबिजीत गबनकर की नज़्हरों से

अभी कुछ समय पहेले पैठन महाराष्ट्र में ता. 20 अगस्त के दिन आयोजित और विविध भारतीके वरिष्ठ उद्द्धोषक श्री अशोक सोनावणे द्वारा संचालित रेडियो श्रोता सम्मेलन का आलेख़ नीचे प्रस्तूत है । भविष्यमें अगर इस कार्यक्रम की रेकोर्डिंग्स प्राप्त होगी, तो इसे इस मंच पर पूरा या आंशिक दिख़ाया जायेगा ।

आदरणीय पियूष मेहता जी ,नमस्ते

श्रोता दिन २० ऑगस्ट

२० अगस्त को प्रतिष्ठान रेडिओ श्रोता संघ पैठन महारास्ट्र में श्रोता दिन बड़े धूमधाम से मनाया गया.२० अगस्त लिस्नर्स डे के लिए प्रमुख मेहमान हमारे विविध भारती के वरिस्ट उदघोषक अशोक सोनावनेजी को प्रतिष्ठान रेडिओ श्रोता संघ द्वारा आमंत्रित किया था . प्रतिष्ठान

रेडिओ श्रोता संघ के अध्यक्ष राजेंद्र लोहारे,उपाध्यक्ष राजेंद्र कोलते,बजरंग काले,नानासाहेब काकडे,संजय सोनारे,लक्समन ज़िनजुरके,रघुनाथ शेलके,आबा साहेब डोंगरे, बबन नाइक,भाऊ साहेब धोंगडे इन्होने बड़ी मेहनत की पैठन के श्रोता भाई सुरेश जाधव् ने यह श्रोता सम्मलेन आयोजित किया था. इस कार्यक्रम में समिलित होने के के लिए २०० श्रोता महारास्ट्र तथा मध्य प्रदेश से आये थे,इस सम्मलेन में उमरखेड के अभिजीत गव्हानकर ,रज्जाक खान,यवतमाल के राहुल मनवर ,विनोद धवले,पोपलवाद, हलनी जिला नांदेड के एस.के.पाटिल बिड के प्रकाश पगारिया,किशोर उबाले,

परली के म़ा.आर.जी. फड,औरंगाबाद के जग्गनाथ बस्सये,बाहुबली फूरसुले, नवाब दानापुरी,कोपरगाँव के पेंटर दारूवाला,अकोले के सुनील साठे, बालमटाकली के राधाकिशन भिसे, नंदकुमार अदवत ,अम्भई के अनिल घोडके,शिर्डी केनंदकिशोर गाडेकर , भोंनगाँव के श्रीकृष्ण भारसाकले परभणी के संजय मुरुम्बेकर,भगवन खोतकर, बिड के पोपट कुलथे,नंदकिशोर घटे,घनश्याम टेकवानी , कीसन सपकाल,सुनील जोजारे,ठाकुर सुरेंदर सिंग, परली के शिवदास गलंडे,सेलुबजारके दत्तात्रय लकड़े,नन्दुराके उमेश गुजर,बोराला के आदिनाथ वाघ,सेलु परभणी के चंदू कुलकर्णी, वारंगा के पांडुरंग मोरे,हदगांव के लक्ष्मण चाकोते,शंकर गिरबिड़े,वाकोड़ी के उत्तम जम्धाड़े,सदाशिव थोरात,अर्धापुर के वामन दहाले,मारोती पांचाल,हदगांव के बालू घडबले, और कई श्रोता थे जिनका यहापर जिक्र नहीं कर रहा हूँ. मध्य प्रदेश से बलवंत कुमार वर्मा,धाकड़, ,

सुबह चाय नास्ता होने के बाद ११.३० को कार्यक्रम संगीत की देवी सरस्वती के पूजन से हुवा.विविध भारती के वरिस्ट उदघोषक अशोक सोनावनेजी ने पूजा की इस कार्यक्रम में समिलित होने के लिए बिड आकाशवाणी के अधिकारी आये थे.विजय पारगावकर ,अनिल मगर,प्रकाश पगारे,जाधव ,प्रीती सवाई ,अहमदनगर के संतोष मते,औरंगबाद के अनंत काले ,अकोला के बाळकृष्ण बिडवाई सभीने अपने भाषण में अपने मौलिक विचार श्रोताओ तक पहुचाये.श्रोता दिन का विशेषता बताई.सभी श्रोताओ का स्वागत तथा परिचय मंच पर किया गया.श्रोताओ ने रेडिओ सीलोन की यादे ताज़ा की. उमरखेड के श्रोता अभिजीत गव्हानकर ने विविध भारती के मनमानी रवये पर कड़ी आपति जताई.कार्यक्रमों में सूधार लाने के लिए निवेदन किया.हलनी के म़ा.एस.के.पाटिल ने सीलोन के भूतपूर्व उदघोषक विजय शेखर से बाते कराइ.औरंगाबाद के जगनाथ बस्सये जी ने अमिन सायानी जी से बाते की.अकोला के केंद्रनिर्देशक ने फरमाइशी प्रोग्राम बंद किये थे,श्रोताओ के अनुरोध पर फिरसे दोनों कार्यक्रम शुरू करने का वादा किया,श्याम ५ बजेतक प्रोग्राम चलता रहा.सभी उदघोषक भाई को पैठन की याद रहने के लिए तोहफा दिया गया ,पुराने श्रोता को शाल देकर सन्मानित किया गया ५ बजे सभीने भोजन का आस्वाद लिया.और सभी श्रोता अपने अपने मंजिल पर चल पड़े.हर साल श्रोता दिन मनाने की परम्परा चलती रहे.

अभिजीत गव्हानकर ,मेहेर नगर उमरखेड

जिला- यवतमाल 445206

शनिवार, 20 अगस्त 2011

यादें रेडियो सिलोन की - लेख़क और सम्पादक श्री मनोहर महाजन - मेरे लिये एक दुउ:खदायी अनुभव

आदरणीय पाठक गण,

आज विश्व श्रोता दिन के अवसर पर सभी श्रोतागण को बधाई और आज के दिन कई शहरों में कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है, जिसमें महाराष्ट्र के पैठण शहरमें हमारे विविध भारती के चहीते उद्दघोषक श्री अशोक सोनावणेजी मंच संचालन के लिये आयोजको द्वारा आमंत्रीत किये गये है जिसे मूझे उमरख़ेड के श्री अभिजीत गोवनकरजीने विडीयो चेट के दौरान बताया था और वे ख़ूद जाने वाले है । इसी प्रकार एक कार्यक्रम बडोदरा में भी श्री मनोहर महाजन द्वारा संचालित किया जानेवाला है । और आज ही के दिन पिछले वर्ष उनकी किताब 'यादें रेडियो सिलोन की' रायपूरमें उनके द्वारा लिख़ीत और सम्पादीत जयपूर के वान्गमय प्रकाशन के श्री राजेष अग्रवाल द्वारा प्रकाशित की गई थी, जो मूझे इसकी किमत भेजने पर समय से पूर्व प्राप्त हो गई थी । इस बूकमें श्री मनोहरजीने कई बड़ी प्रसारक हस्तीयों और हम जैसे आम श्रोताओं के अपने उनके साथ वाले या एकल फोटो के साथ अपनी राय मांगी थी जो मैनें भेजी थी उसका मूल स्वरूप और बादमें प्रकाशित स्वरूप कहाँ से कहाँ उनके नादान सहायकोने विकृत कर दिया उसकी कहानी यहाँ नीचे सब के सब चित्र पढ़ कर आप को मालूम होगा कि मूझे उनके अणघड सहायकोने कैसे नीचे गिरा दिया है । यहाँ जब उसी सेरिमंनी के दौरान यह गलती की स्पस्टता करने को एस एम एस भेजा था तब उन्होंनें सामूहीक गलतियों का ही जिक्र करके आस्वासन दिया था कि नयी एडिसनमें यह गलतियाँ सुधार दी जायेग़ी, और मेरे एस एस के द्वारा फ़िर बादमें याद कराने पर वही बात कही गई । पर आज तक़ नयी एडिसन नहीं आयी और मूझे आने की सम्भवना नहीं दिख़ाई पड़ रही है । और अब तक की बिक्री से किताब पाने वाले मूझे ज्यादा कमअक्कल मानेंगे उसकी जवाबदेही किसकी ! महाजन साहब ही आख़री जवाबदार रहते है । रेडियो, टीवी और मंच संचालनमें उनकी होशियारी को यहाँ नीचा दिख़ाना मेरा कोई इरादा नहीं है और किताबमें अपनी बातों को उन्होंनें करीब 25% ही स्थान दिया है , जब कि अन्यो6 द्वारा कि गई उनकी तारीफ़ को ज्यादा जगह मिली है । पत्रों को सम्पादीत करे, जगह के हिसाब से वहाँ तक कोई विवाद नहीं है पर इस प्रकार विकृत करते है जैसे मेरे नाम श्री एनोक डेनियेल्स के हाथों से अपना प्रिय पियानो-एकोर्डियन छिन कर इलेक्ट्रीक गिटार थमा देना यह कैसे माफ़ किया आ सके ? अन्य गलती आप इस पन्ने की स्केंन कोपी नीचे कित्रोमें से एक पर देख़ेंगे मेरी बोलपेन रिमार्क्स के साथ तो आप को इसकी गम्भीरता तूरंत ख़याल आयेगी ।
अब मेरे मूल पत्र की प्रत पढीये जो उनसे मेईल से जेपीजी और पीडीएफ दोनों रूप से भेजी थी ।

और इस किताब के मेरे हाथमें आने के बाद और जारि करने के समारंभ के पहेले मेरे द्वारा उनसे और उनके प्रकाशक श्री राजेष अग्रवालजी से किये गये मेईल को भी पढ़ीये । हालाकि राजेषजी बहूत उमदा स्वभावके है और कई बार मूझे फ़ोन करके बात कर चूके है ।





पियुष महेता ।
सुरत-395001.

शुक्रवार, 5 अगस्त 2011

एक नयी शुरूआत : जानेमाने रेडियो श्रोता राजकोट के श्री मधुसूदन भट्ट से एक चर्चा

आदारणीय पाठक-गण,

रेडियोनामा ब्लोग की मेरे द्वारा लिख़ी भूतकाल की कई पोस्टो पर जानिमानी कई रेडियो-प्रसारको या फ़िल्मी वादक कलाकारों या हिन्दी फिल्मों के इतिहास के संशोधनकर्ताओं से मेरी बातचीत को आपमें से कई लोग देख़ चूके होगे और यह सिलसिला भी समय समय पर जारि रहेगा जैसे जैसे मूझे ऐसे संयोग प्राप्त होगे । पर आज एक नयी बात इस प्रकार होगी कि इस श्रृंखलामें जानेमाने रेडियो श्रोता से साक्षात्कार की भी शुरूआत हो रही है और इसे रेडियोनामा पर रख़ने के इरादे से करीब एक साल पहेले रेकोर्ड (यानि दृष्यांकीत किया था । पर जनम तारीख़ और मृत्यू तिथी के बारेमें समय समय पर पोस्ट प्रकाशित करने के सिलसिलेमें और एक सामुहीक ब्लोग के सदस्य होने के नाते इसे प्रकाशित करना थोडा विलम्बीत हो गया था कि रेडियोनामा का स्वरूप बदल दिया गया और वहाँ इसे प्रकाशित करने की कोई गुंजाईश ही नहीं रही । यहाँ मेरा ऐसा कहने का कोई इरादा नहीं है, कि वहाँ के परिवर्तन से कुछ अच्छा नहीं हुआ है और मानता भी हूँ कि काफ़ी नयी नयी बातें कई लोगोसे जाननी भी मिली । पर मिडीया कर्मी और आम श्रोता के संयोगोमें आभ धरती का अन्तर होगा और फिल्मी नगरी में रहेने में और वहाँ से काफ़ी दूर होने भी काफ़ी संयोग बदल जाते है । हा, सुरत मुम्बई से देश के अन्य इलाकों के मुकाबले कुछ नज़दीक जरूर है और इसका एक हद तक लाभ मूझे जरूर मिला है । तो इस प्रकार शायद प्रसार माध्यम कर्मी लोगो की नझर से शायद आम पर मूझ जैसे आम श्रोता की नझरमें उँचे प्रकरके श्रोता में से एक वैसे राजकोट निवासी श्री मधुसूदन भट्ट के एक मुलाकात यहाँ प्रस्तूत की है जो उनकी मेरे धर उनके आने पर एक याद के रूपमें ली गई थी ।

तो सुनिये और देख़ीये श्री मधुसूदन भट्ट को मेरे साथ :



अगर आप सिर्फ़ सुनना ही चाहते है तो ध्वनिमूद्री नीचे प्रस्तूत की है ।


आपका दोस्त,
पियुष महेता ।
सुरत-395001.