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3 अक्तूबर, 1957 से विविध भारती के स्थापना दिनसे ही रेडियो सुनने की शुरूआत । ८ साल की उम्रसे ।

सोमवार, 15 अक्तूबर 2012

भारतीय फिल्म इतीहासकार श्री हरीश रधुवंशी की सालगिरह पर उनसे बातचीत


आदरणिय रेडियोविश्व के पाठको,

नमस्कार, आज यानि दि. 15वी अक्तूबर, 2011 के दिन भारतीय सिने उद्योग के बारेमें बारीकी से संशोधन-कर्ताओं में से एक अव्वल दरज्जे के संशोधनकार तथा एक नया रास्ता बनाने वाले सुरत निवासी श्री हरीश रघुवंशी अपनी जीकवन यात्राके 63 साल समाप्त करके 64वे सालमें प्रवेष कर रहे है, तो इस खुशी के मोके पर मेरी तथा सिने संगीत प्रेमी लोगो की और से उनको हार्दीक शुभ: कामनाएं और इस मोके पर मेरे द्वारा उनके घर पर इन संशोधनों के बारेमें तथा इनके आधार पर अब तक प्रकाशित पुस्तको के बारेमें, जिनकी मुख: पृष्ठकी तसवीरें नीचे प्रस्तूत की गयी है, तथा आनेवाले दिनों मेँ उनके संशोधन पर आधारीत नये प्रकाशन के बारेमेँ, (हम दोनों गुजराती भाषी होते हुए भी इस मंच के लिये हिन्दी समझने वालों के लिये हिन्दी भाषामें) की गयी बात-चीत का दृष्यांकन चार भागोमेँ इधर प्रस्तूत किये है । (इस विचार का बीज मेरे मनमें मेरे और हरीश्भाई के मित्र और बलसाड निवासी श्री अखिल सुतरीया की गुजराती वेब-साईट www.akhiltv.com पर उनके प्रस्तूत हुए गुजराती साक्षात्कार को सुन कर पैदा हुआ । )(इधर एक बात मैं आपको बताना चाहता हूँ, कि मेरे शुरूआती कई सम्पर्को के लिये वे निमीत्त रहे है, जैसे हाल सुरत निवासी अभिनेता श्री क्रिश्नकांतजी, स्व. श्री केरशी मिस्त्री, उद्दधोषक श्री मनोह्र महाजन साहब । श्री एनोक डेनियेल्स के परिचय के लिये उन्हों ने उनका पूना का पता ढूंढने के लिये भी उनके पूणे निवासी पत्रकार मित्र श्री सुधाकर परूलेकर द्वारा मदद की थी जिनको हम दोनोंने और ष्री एनोक डेनियेल्स साहबने भी आज तक प्रत्यक्ष कभी नहीं देख़ा है ।) इन सँशोधनो को उन्होंने उनके 16 सालसे अकस्मातमेँ अपाहीज हुए आज करीब 38 साल के सुपुत्र की सेवा सुश्रुषा करते करते जारी किया है और इसमॆं कोई दाम कमानेका इरादा नहीं था क्यों की गाने पाने के लिये या फिल्मों की बूकलेट्स पाने के लिये या कभी मूसाफरी के लिये हुआ खर्च तो कोई गिनतीमेँ ही नही है ।
तो यह है मूकेश गीत कोष (जो किसी भी एक पार्श्व गायक के बारेमें इस प्रकार का सर्व प्रथम ग्रंथ है) का मुख़: पृष्ठ:



मूकेश गीत कोष के बारेमें अब सुनीये और देख़ीये श्री हरीशजी क्या कहते है । ( इस अभियानमेँ मैं भेटकर्ता और अकुशल सिनेमेट्रोग्राफर दोनों हूँ, इस लिये शुरूआती क्षणो के पश्चात मेँ आप को दिखूंगा नहीं ।)
 
गुजाराती फिल्मी गीत कोष (जो भारत की प्रादेषिक फिल्मो के बारेमें इस प्रकारका सबसे पहला ग्रंथ है) का मुख़: पृष्ठ



और अब् इनके बारेमें उनसे मेरी बात चीत :
 
इन्हें ना भूलाना तथा सायगल गीत कोष के मुख़;पृष्ठ






तथा इनके बारेमें उनसे बात चीत :




इश्वर आपको तंदूरस्ती इस प्रकार दे की आप इन प्रकार के संशोधनों मेँ आनंद पूर्वक व्यस्त रहे और फिल्म इतिहास के रसिको को नयी नयी चीजें मिलती रहे ।  (यह मुलाकात सन 2008 की है और बहूत ही आम साधनो से रेकोर्द की थी और अन्य्त्र प्रस्तूत भी की थी जो गिने चूने परिवर्तन के साथ यहाँ प्रस्तूत की है ।
पियुष महेता ।
सुरत-395001.

बुधवार, 10 अक्तूबर 2012

भारतीय फिल्म-संगीत के हार्मोनिका (माऊथ ओरगन) वादक पूना के श्री मदन कूमर को जनम दिन की बधाई (10 सितम्बर 1943)

आज यानि 10 सितम्बर के दिन भारतीय फिल्म संगीत का एक हिस्सा माऊथ ओरगन वादक पूना स्थित श्री मदन कूमर जी को जनम दिन की शुभ: कामना के स्था यहाँ प्रस्तूत है, हम दोनों के बीच की बातचीत का नेट से ऑनलाईन विडीयो रेकोर्डींग (यह मेरा बिन व्यवसायीक रूप से और मर्यादीत साधनो से किया हुआ काम है, जिसमें मेरे साधनोने अंतीम समय पर कहीं घोका दिया इस लिये विडीयो के साथ ओडियो बादमें मिलाने की कोशिश कुछ क्षतीयों के साथ की है, जिसके लिये क्षमा करें ।)(यह विडीयो दि. 12 अक्तूब्र के दिन वॉईस और विझन को रिमिक्स करके फिर से लोड किय गया है, जिससे आप मदन कूमारजी को अपना माऊथ ओरगन  बजाते हुए देख़ भी पायेंगे जो अब तक सिर्फ़ सुन सकते थे


और अब नीचे आप सुन सकते है, उसी विडीयो का ओडियो ।


अब आज के दिन रेडियो श्रीलंका-हिन्दी सेवा से सुबह 8 बजे भारतीय सम के अनुसार उद्दघोषिका श्रीमती ज्योति परमारजीने मेरी और उनकी यानि एस एल बी सी परिवार की और से बधाई संदेश प्रस्तूत करते हुए उनकी माऊथ ओरगन पर बजाई और उन्हीके वाद्यवृंद संचालन की हुई फिल्म तूम से अच्छा कौन है की धून उस बधाई संदेश के साथ नीचे सुने । (यह प्रिवर्तन 17 अक्तूबर को किया गया है ।

 पियुष महेता ।
(नानपूरा-सुरत-395001)

रविवार, 16 सितंबर 2012

विश्व रेडियो श्रोता दिन (20 अगस्त्, 2012) पर मेरे मेहमान रेडियो सिलोनके कुछ् श्रोताओ से साक्षात्कार

20 अगस्त्, 2012 के दिन यानि विश्व रेडियो श्रोता दिन पर मेरे घर आये अम्रावती के श्री अरविन्द हम्बर्डे, कोल्हापूर के मूकून्द मारूरकर, तथा सुरत के श्री ठाकोरभाई पटेल, गजानंद सावंत और रेडियो सिलोन की यात्रा करके वहाँ से सजीव प्रसारणमें हिस्सा ले चूके वैसे श्री सुरत के ही मधूकर वकील के साथ हुए एक साक्षात्कार का दृष्यांकन यहाँ प्रस्तूत है, और उसमें शुरू के हिस्सेमें एक विडियो है जिसमें ज्योति परमारजी अपने प्रसारण कक्षमें बैठी हुई उद्दघोष्णा करती आप देख़ पायेंगे । पियुष महेता । नानपूरा, सुरत ।

सोमवार, 27 अगस्त 2012

स्व. हृषिकेश मुख़र्जी 27 अगस्त पूण्य तिथी पर शब्दांजलि

आज भारतकी फिल्म शौख़ीन जनता की फ़िल्मो की पसंद में सकारात्मक परिवर्तन करने वाले यानी साफ़-सुथरी फ़िर भी सफ़ल फिल्मों के निर्माता-निर्देषक, सम्पादक और एक पाठशाला समान श्री हृषिकेश मुख़र्जी की भी स्व. मूकेशजी के अलावा पूण्यतिथी है । पर विविध भारती की केन्द्रीय सेवा के सदा-बहार गीत कार्यक्रम को छोड़ बहोत कम याद किया गया, जब की गायक को काम और नाम तभी नसीब होता है, जब कि हृषिदा जैसे लोग अच्छे विषय पर फिल्में बनानेका साहस करके गुणी संगीतकारों तथा साथ साथ गीतकारों के लिये काम खडा करते है । हृषिदाने संवेदनशील फिल्में तो बनाई ही है पर हास्यप्रधान फिल्मोंमें भी साफ-सुथरापन और स्थूल हास्य के स्थान पर परिस्थितीजन्य हास्य को अपनी फिल्मों में बखूबी इस्तेमाल किया । और यह भी हर बार एक नयी कहानी और नया विषय ले कर । पाश्चात्य संगीत के लिये जानेमाने श्री राहुल देव बर्मन साहब को कई बार अपनी फिल्मोंमें गुलझारजी के गानों के साथ उन्होंनें लिया और बड़े सुन्दर गाने हमें प्राप्त हुए । कई अभिनेताओं की स्थापित छबीयों को उन्होंने बखूबी बदा डाला । उदाहरणके तौर पर हीमेन के रूपमें जाने पहचाने श्री धर्मेन्द्र को मझली दीदी, सत्यकाम और अनूपमा जैसी संवेदन शील फिल्मोंमें चावीरूप भूमीकाएं दी तथा चूपके चूपकेमें बड़ी मझेदार हास्य कलाकार हीरो के रूपमें प्रस्तूत किया । बिन्दूजी और शशिकलाजी को वेम्प यानि ख़ल-नायिका के रूपमें से बाहर निकालके अनुपमा, अभिमान और अर्जून-पंडित (चरित्र अभिनेत्रीके रूपमें बिन्दूजी ) भी प्रस्तूत किया । ग्ल्रेमरस भूमिका के लिये जानिमानी शायरा बानूजी को चैतालीमें सादगी भरी भूमिकामें प्रस्तूत किया । और देवेन वर्माजी का सह अभिनेता या ख़ल नायक (देवर) के रूपमें से हास्य अभिनेता के रूपमें फिल्म बूढ्ढा मिल गया से परिवर्तन किया । श्री बासु चेटर्जीने हास्य-प्रधान फिल्में अपने तरीकेसे बनाई पर साफ-सुथरापन और परिस्थितीजन्य हास्य के हृषिदा के राह पर तो वे चले ही चले । यानि हृषिदाका प्रदान कई जगहो पर मील का पत्थर साबित हुआ । हास्य फिल्मों की कोई भी चर्चा उनके नामोल्लेख़ के बिना अधूरी ही है । श्री युनूसजी द्वारा सम्पादीत और प्रस्तूत हास्य-प्रधान फिल्मों के स्तर पर मंथन कार्यक्रममें एक कड़ीमें मूझे इस बारेमें बोलनेका मोका मिला था । इन दोनों व्यक्तिविषेषों को रेडियोनामाकी और से श्रद्धांजलि ।

शुक्रवार, 24 अगस्त 2012

संगीत कार स्व. श्री कल्याणजी (आनंदजी से जूड़े) वीरजी शाह को पूण्य तिथी पर श्रद्धांजली एक नये रूपमें

आज स्व. संगीतकार कल्याणजी की मृत्यू तिथी पर श्रद्धांजलि स्वरूप उनकी क्लेवायोलीन पर बजाई अन्य मशहूर संगीत कार जोड़ी शंकर जयकिशन के स्वरबद्ध किये हुए गाने जा जा सनम मधूर चांदनी में हम (फिल्म चोरी चोरी के गाने की धून जो रेडियो सिलोन से प्राप्त हुई है, श्रीमती ज्योति परमारजी के सौजन्य से । पियुष महेता । सुरत ।

शुक्रवार, 13 जुलाई 2012

बोलिवूड सेक्षोफोन वादक स्व. मनोहरी सिंध को पूण्यतिथी पर श्रद्धांजलि

आज भारत के महान अल्टो सेसोफोन वादक मनोहरी सिंहजी, जो सेक्षोफोन के अलावा, वेस्टर्न फ्ल्यूट, क्लेरीनेत और मेन्डोलिन भी बजाते थे, और एस डी बर्मन, आर डी बर्मन, शंकर जयकिशन, मदन मोहन , सलिल चौधरी, चित्रगुप्त, ओ पी नैयर और अन्य कई अन गिनत संगीतकारो से साथ वादक और एरेंजर रह चूके है, उनको उनकी पूण्य तिथी श्रद्धांजलि रूप उनकी बजाई फिल्म शादी के गीत आज की रात नया चाँद लेके आयी है यहाँ प्रस्तूत है । (यहाँ एक और बात बताना चाहता हूँ कि आज रेडियो सिलोन पर उनकी 78 आर पी एम से फिल्म समाधी के गीत गोरे गोरे की धून के लिये ज्योति परमारजी को सही समय पूर्व जानकारी दी थी, पर उन्होंने इसे नझरंदाज किया है । पियुष महेता । सुरत ।

शनिवार, 28 अप्रैल 2012

मशहूर रेडियो-प्रसारक श्री ब्रिज भूषणजी को जनम दिन की शुभ: कामना

आज पहेली बार इस मंच पर आवाझ की दुनिया की एक मशहूर हस्ती आदरणिय श्री ब्रिज भूषणजी को मैं याद फरमा रहा हूँ, हा, पिछले साल रेडियोनामा पर इस बारेमें जरूर लिख़ा था, जहाँ से मैं निकाल दिया गया हूँ, और हैद्राबाद की श्री अन्नपूर्णाजी को भी निकाल दिया गया है
। उनके जनम दिन के उपलक्षमें । मेरी उनसे श्री अमीन सायानी साहब के सौजन्य से दूर भाषी पहचान रही है और वह इस लिये की मुम्बई बहोत बड़ा शहर होने के कारण और बाहर से हंगामी रूपसे कुछ ही दिन गये लोगों के लिये अगर बहूत सी जगह जाना होता है तो कुछ एक या दोनों और के समय संजोग के कारण मुमकीन नहीं बनाया पाता हालाकि दोनों और से सैद्धांतीक रूप से मिलने की सहमती हो तो भी,।नहीं तो आज उनका भी विडीयो इन्तर्व्यू इस स्थान से आप देख़ पाते । पर इस वक्त तो उनकी तसवीर भी मेरे पास उपलब्ध है, जिसे उपर आप दिख़ रहे है और और इसे सुरत के श्री हरीष रधूवंशीजीने मूझे बिनती करने पर अपने संग्रह से भेज़ी थी, नहीं तो मेरे मनमें भी इनकी काल्पनीक तसवीर ही बनी हुई होती अपने हिसाबसे । जहाँ तक मूझे याद है रेडियो श्री लंका से करीब 1960 में ज्न्हें फिल्म झूमरू के विज्ञापन और रेडियो प्रोग्रम में सुना था । यहाँ इस फिल्म के सप्ताहमें दो 15 मिनीट के कार्यक्रम आते थे, जिसमें बूधवार रात्री 9 बजे श्री अमीन सायानी साहब और रविवार दो पहर 12 बजे श्री ब्रिज भूषण साहब इसे प्रस्तूत करते थे । और अपना निज़ी व्यवसाय शुरू करने तक रेडियो सिलोन से अमीन सायानी साहब के सबसे अच्छे साथिदार के रूपमें लोगों की चाहना प्राप्त की थी, अन्य कार्यक्रमोमें शनिवार रात्री रेडियो कहानी और रविवार दो पहर 12.45 पर संगीत पत्रिका बारी बारी श्री कमल बारोट और स्व. शील कूमार वगैरह के साथ प्रस्तूत किये थे । उसके बाद विविध भारती से भी कई कार्यक्रम किये जो स्थानिय प्रसारणमें होने के कारण पूरे देशमें नहीं पहोंच पाये । जिसमें चेरि ब्लोसम नोक झोक उनके साथ उनकी पत्नी मधूरजी (झाहीरा) भी होती थी और इस कार्यक्रम की ओपनींग और क्लोझींग उन्होंने श्री अमीन सायानी साहब से करवाई थी,जो भी मशहूर रेडियो ब्रोडकास्टर रह चूकी है । जहाँ तक मूझे याद है उनका अंतीम रेडियो कार्यक्रम फेमीना की मेहफ़ील था और बादमें वे दृष्य माध्यम यानि टीवी की दुनियामें वोईस-ओवर कलाकार के रूपमें विज्ञापनोंमें ख़ास कर सक्रीय हो गये और रेडियो छूट गया जो श्री कमल शर्माजी के द्वारा उनकी मुलाकात आज के मेहमान अंतर्गत ली गई, तब जूडा । इस के अलावा हिन्दी फिल्मोमें संगीतकार के रूपमें उन्होंने फिल्म पठान ( उनके ससुर श्री आताउल्लह ख़ान की निर्मीत फिल्म जो उनका सम्बंध ज़ूड़ने से पहेले की थी सिर्फ एक गाना), मिलाप (दूसरी) एक नाँव दो किनारे, काम शास्त्र और संगदिल (दूसरी) संगीत दिया है । एक सुर पहेलू गायक के रूपमें फिल्म पूरब और पश्चीममें ओम जय जगदीश हरे के पहेले संस्कृत श्लोक कल्याणजी आनंदजीने ब्रिज भूषणजी से गवाये थे । डबींग कलाकार के रूपमें भी उन्होंनें फिल्म सरस्वती चन्द्रमें बंगाली भाषी कलाकार मनीष कूमार के लिये, फिल्म उपहारमें बंगाली भाषी कलाकार श्री स्वरूप दत्त के लिये और मन मेरा तन तेरा में कोलेज के प्रिन्सीपाल करने वाले कलाकार के लिये डबींग की है । श्री ब्रिज भूषण जी को रेडियोनामाकी और से लम्बे स्वस्थ और सक्रिय आयु की शुभ: कामनाएँ । पियुष महेता । सुरत ।

सोमवार, 16 अप्रैल 2012

श्री एनोक डेनिएल्स (पियानो-एकोर्डियंन वादक) को 80 वे जनम दिन पर बधाई ।

आज पियानो-एकोर्डियन के एक हद तक़ पर्याय श्री एनोक डेनिएल्स अपना असीवाँ जनम दिन मना रहे है । तो इस अवसर पर उन्हें हार्दिक बधाई । आपने मेरी इस पोस्ट के पहेले की पोस्ट मॆं पढ़ा, की विविध भारती सेवा के राष्ट्रीय लघू-तरंग, मध्यम तरंग और एफ एम नेटवर्क तथा उपग्रह और इन्टरनेट प्रसारणमें ता> 14 को इनके द्वारा प्रस्तूत जयमाला कार्यक्रम प्रसारित हुआ । आज रेडियो श्रीलंका पर भारतीय समय अनुसार सुबह 7 बजे श्री पद्दमिनी परेराने मेरे और मेरे अन्य दो मित्र ठाणे के सुभाष कुलकर्णी तथा इन्दौर के श्री कैलाश शुक्ला के शुरूआती बधाई संदेश के साथ उनकी पियानो-एकोर्डियन पर करीब 1968 में प्रकाशित हुई एल पी एकोर्डियन फेन्टासी से 7 धूने 1 आँख मिलाय्रे जा (मिलन की रात),2 आजा पिया (बहारों के सपने),3 दिल दे दे (जाल) 4. आज की रात (अमन), 5 दिवाना मूज़को लोक कहे (दिवाना), 6. छोटी सी मूलाकात प्यार (छोटी सी मुलाकात और 7 धीरे धीरे मचल (अनुपमा) प्रसारीत हुई । अंतमें भारत और पाकिस्तान के कई अन्य श्रोता के बधाई संदेश भी प्रस्तूत किये गये ।
वे पियानो-एकोर्डियन के अलावा पियानो (जो उनका संगीत की दुनियामें प्रवेष के समय का उनका साथी रहा था), इले. ओरगन और सिन्थेसाईझर भी बजाते है । पर एकोर्डियन के कई प्रकारोमें से पियानो-एकोर्डियन उनका मूख़्य साझ रहा है ।

नीचे सुनिये उनकी एल एल पी से फिल्म मूनिमजी से एक धून जीवन के सफ़र में राही, पियानो-एकोर्डियन पर :

शनिवार, 14 अप्रैल 2012

धन्यवाद विविध भारती । श्री अनोक डेनियेल्स द्वारा प्रस्तूत जयमाला के लिये

आज शाम विषेष जयमालामें मेरे सहबे पहेले चहीते बने हुए पियानो और पियानो-एकोर्डियन वादक , वाद्यवृंद निर्देषक श्री एनोक डेनियेल्स साहब की हाथ की कमाल की आवाझ के अलावा उनकी जबानी आवाझ सुन कर बहोत खुशी हुई । विविध भारती को बधाई । हा, उनके परिचयमें जो उनकी धूनों के अंश प्रस्तूत किये गये वो सब एक ही एल पी या बादमें आयी इसी एल पी की सीडी से थे, जिसमें एकोर्डियन के अंश बहोत कम रहे थे पर वाद्यवृंद संरचना उनकी ही है । अगर अलग अलग समय के अलग अलग रेकोर्ड्झ में अंश प्रस्तूत होते तो संकलन और भी सुंदर बनता । फ़िर भी उंको विविध भारती से सुनने की मेरी सालों की मूराद पूरी की । इस लिये विविध भारती सेवा के निर्देषक श्री रजेष रेड्डी साहब, कार्यक्रम अधिकारीणी श्री कल्पना सेठी और संयोजीका श्री तनूजा कानडे तथा अन्य माईक्रोफोन के पिछे के साथीयों बहूत बहूत बधाई के पात्र है । सब को सलाम । पियुष महेता । सुरत ।

रविवार, 1 अप्रैल 2012

विविध भारती सेवा के उद्दघोषक श्री अशोक सोनावणेजी को जनमदिन की शुभ: कामनाएं ।

आज हमारे चहीते विविध भारती सेवा के वरिष्ठ उद्दघोषक श्री अशोक सोनावणेजी जा जनम दिन है । उनके बोलने का अंदाज़्ह ऐसा है कि वे बहूत ही हसमूख़ और सालस स्वभाव के प्रतीत होऊते है । इन्दोर के मेरे मित्र श्री कैलाश शुक्ल जी का भी यही ख़याल है । रेडियो विश्व की और से उनको जनम दिन की शुभ: कामनाएँ ।

शनिवार, 24 मार्च 2012

वी बालसाराजी की आज 24 मार्च पर पूण्यतिथी पर श्रद्धांजली

आज यानि 24 मार्च् को रेडियो श्रीलंका से मेरी और ठाणे के सुभाष कुलकर्णी द्वारा दी गयी जानकारी अनुसार श्रीमती ज्योति परमारने म्रेरी ज्नके पिताश्री दलवीर सिंह परमार द्वारा करीब 40 साल पहेले बजाई धून फिल्म आश का पंछी के शिर्षक गीत की श्री वी वालसारा द्वारा हारमोनियम पर सुबह 6 बजे भारतीत समय अनुसार प्रसारीत हुई जो उनकी उद्दघोणा के साथ और बालसाराजी की तसवीर के साथ जो हारमोनियम पर नहीं मिलने पर एकोर्डियन पर है, यहाँ प्रस्तूत है । साथमें 7 बजे सुबह मदमस्त फिल्म के गाने भी एक ही फिल्म से शिर्षक अंतर्गत वी बालसारा साहब के संगीत निर्देशनमें प्रस्तूत हुए जिसमें महेन्द्र कपूर साहब को प्रथम पार्श्वगान मिला था ।

पियुष महेता ।
सुरत -395001।
सम्पर्क : 91-261-2462789, 919429859536,919898076606

शनिवार, 10 मार्च 2012

10 मार्च, 2012 के दिन जानेमाने मेन्डोलिन वादक श्री महेन्द्र भावसारजीको जनम दिन की शुभ: कामनाएँ

आज यानि दि. 10 मार्च, 2012 के दिन जानेमाने मेन्डोलिन वादक श्री महेन्द्र भावसारजी 79 साल पूरे करके 80वे सालमें प्रवेष कर चूके है ।
श्री महेन्द्र भावसार फिल्मी संगीत की दूनिया के जानेमाने मेन्डोलिन वादक रहे । हालाकी मैं रेडियो के अलावा फिल्म संगीत के अन्य कोई सोर्स से जूडा नहीं था । साझोमें हार्मोनियम, माऊथ ओर्गन, बांसूरी, और बेन्जो ( जिसको ट्रायसेकोटो या बूलबूल तरंग नाम से मैं ज्न दिनो जानता था ) , या शादीमें बजनेवाला एक अपने आपमें खाश़ किसमका क्लेरीनेट (जिसको शायद ग्राम्य गुजरातीमें पिपूडी बोलते थे ) त्क ही करीब सिमीत था । इन दिनों करीब १९६२ से रेडियो से बजने वाली फिल्मी धूनों पर मेरे कान ठहरने लगे और प्रथम घ्यान आकर्शित हुआ पियानो-एकोर्डियन पर जो श्री एनोक डेनियेल्स बजाते थे । तो वह स्वाभाविक है कि मूझे अच्छी खिसम के हार्मोनियम जैसा लगा । इसी तरह मेन्डोलिन सबसे पहेले श्री महेन्द्र भावसार का सुना , जो सुपर क्वोलिटी का बेन्जो लगा । पर श्री एनोक डेनियेल्स की धूने तो काफी मात्रामें आती थी । जब की करीब तीन या चार साल बाद फिल्में प्यार मोहोबत, तीसरी मंझील, तीसरी कसम, आयी । उन के एक एक गाने को तथा अन्य एक गाने को ले कर एक ई. पी. श्री महेन्द्र भावसार साहब की आयी । इसके कई एक साल बाद करीब १९६७में श्री मनोहर महाजन साहब रेडियो सिलोन गये तो उन्होंने श्री महेन्द्र भावसार साहब की आवारा (दो धूनें) फिल्म जिन्दगी (पहेले मिले थे सपनोमें तथा ससुराल ( तेरी प्यारी प्यारी सुरत को) पूराने सुस्त पडे खजाने से ढूंढ निकाली थी और प्रस्तूत करने लगे थे, जिसमें वाद्यवृन्दमें अन्य कोई वाद्य नहीं था, सिवाय की स्व. सुदर्शन अधिकारी के तबले ) ।
उन्होंनें श्री अनिल विश्वासजी से आनंद मिलींद तक फिल्मोंमें बजाया है ।
उनसे मेरा परिचय श्री एनोक डेनियेल्स साहबने करवाया था और बताया (दूसरी एक और मुलाकात के समय )था कि, एच. एम. वी. के सितारें कार्यक्रम के शिर्षक संगीत का शुरूआती हिस्सा भी श्री महेन्द्र भावसार साहब का बजाया हुआ है (एल. पी. सितार गोझ लेटिन-मूख्य साझ सितार पर श्री जयराम आचार्य-वाद्यवृन्द निर्देशन-श्री एनोक डेनियेल्स) ।
श्री महेन्द्र भावसार साहब को आज के दिन के लिये बहोत बधाईयाँ और स्वस्थ तथा लम्बी आयु के लिये शुभ: कामना । आज उन्हें फोन पर बधाई तो दी थी । दि. फरवरी, 2012 के दिन उनके घर यकायक मेरा जाना तय हुआ था और गया तो, तबियत के कुछ: नाकूक दौर से वे गुजर रह्रे थे, पर उनके घर के सदस्योंने बताया कि कुछ सुधार हुआ है, आज भी फोन पर बात हुई तब भी बताया गया कि उस समय से भी आज थोड़ा और सुधार हुआ है । तो आशा करता हूँ कि मेरी भविष्यमें होने वाली मुम्बई यात्रा के दौरान वे मुझे विडीयो केमेरे के सामने अपनी संगीत यात्रा को बयान कर सके ।

तो इस अवसर पर मूझे रेडियो श्रीलंका से उद्दघोषिका श्रीमती नलिनी मालिका परेरा से सौजन्य से कुछ: ही दिनो पहेले वाद्य संगीत कार्यक्रम अंतर्गत प्राप्त फिल्म प्यार मोहोबत के गीत सुन सुन सुनरे बलम की धून नीचे उनकी तसवीर के साथ सुनिये :



इस उपलक्षमें रेडियो श्री लंकाने पिछ्ले सालों में मेरे संदेश के आधार पर मेरे नाम के साथ उनके लिये बधाई संदेश प्रस्तूत करते हुए उनकी बजाई हुई मेन्डोलिन पर फिल्म प्रिन्स (शंकर जयकिसन)के गीत मदहोश हुआ म्लवाली फिज़ा को प्रस्तूत किया । पर इनका नाम गलती से श्रीमती ज्योति परमारने महेन्द्र की जगह महेश्वर एक से अधिक बार बोल दिया । फिर उनकी सराहना इस लिये जरूरी बनी कि मेरे तूर्त ही कहने पर तूर्त ही क्षमा याचना के साथ सुधार संदेश भी प्रस्तूत कर दिया है । इस पुरी रेकोर्डिंग मेरे पास थी पर पूना के मेरे नौजवान पर फ़िर भी पुराने संगीत के शौख़ीन मित्र जो अपनी शादी के बाद अपनी श्रीमतीजी को ले कर श्रीलंका जा कर सजीव प्रसारणमें आमंत्रीत और प्रस्तूत हुए थे, वैसे श्री गिरीश मानकेश्वरजीने ई मेईल से भेजी जो मेरी रेकोर्डिंग से बहेतर होने के कारण गिरीशजी के प्रति घन्यवाद के साथ तथा श्री महेन्द्र भावसारजी को जन्मदिन कीशुभ:कामना और स्वस्थ दिर्धायु की भी कामना के साथ नीचे प्रस्तूत की है ।




पर उसमें वो सुधार शामिल नहीं था, इस लिये मेरी रेकोर्डिंगमें से काट-छाट करके नीचे प्रस्तूत की है जो गुणवत्ता में उत्तम नहीं है पर घ्यान से सुनने पर सुनाई देती है ।


आज हिन्दी फिल्म संगीतमें एक जमाने के बहोत ही सक्रिय मेन्डोलिन वादक श्री महेन्द्र भावसार के जनम दिन पर उनकी इसी साझ पर बजाई हुई फिल्म 'मन मंदीर' के गीत 'जादूगर तेरे नैना' की धून का अंश नीचे प्रस्तूत है । 1933 में आज ही के दिन पैदा हुए श्री महेन्द्र भावसार को जनम दिन की ढेर सारी बधाई और स्वस्थ लम्बे आयु की शुभ: कामनाऐं ।




यहाँ एक बात ख़ास बताना चाहता हूँ, कि आज के उनके जनम दिन के उपलक्षमें मैनें और मेरे ठाणे निवासी मित्र सुभाष कुलकर्णीने सही समय पहेले इस जानकारी को श्रीमती ज्योति परमार को बताया था, और आज भी ध्यानाकर्षित किया, पर कौन जाने आज उन्होंने ठान ली थी, कि इस बात को जाना-अनजाना करें ।

पियुष महेता ।
नानपूरा, सुरत-395001.

गुरुवार, 8 मार्च 2012

हवाईन गिटार और वायोलिन वादक स्व. वान सिप्ले को प्रथम पूण्य तिथी पर श्रद्धांज्ली


आज यानि दि. 8 मार्च के दिन ह्वाईदो धूनें :न ग़िटार और वायोलिन वादक स्व वान सिप्ले को उनकी पूण्य तिथी पर श्रद्धांजली के रूपमें प्रस्तूनत है एक धून : फ़िल्म ज़्हॉनी वॉकर बोल : मूह से मत लगा चीज है बूरी साझ : एलेक्ट्रीक हवाईन गिटार साथ दिया श्री एनोक डेनियेल्सने पियानो एकोर्डियन पर ।


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व गिटार भारतीय शास्त्रीय संगीत के रूपमें और वायोलिन पाश्च्यात्य संगीत के अंतर्गत शीख़े थे ।
PIYUSH MEHTA
પિયુષ મહેતા
पियुष महेता ।
फोन नं : 0261-2462789
मोबाईल :+91-9898076606
+91-9429859536

सोमवार, 5 मार्च 2012

भारतीय फिल्म संगीत के वादक कलाकार पियानो वादक स्व. केरशी मिस्त्री को पूण्यतिथी पर श्रद्धांजलि

आज एक जमाने के एच एम वी के स्टाफ पियानो वादक और वाद्यवृंद संचालक स्व. केरसी मिस्त्री की पूण्य तिथी है । तो उनके प्रति श्रद्धांजलि के रूपमें रेडियोनामा पर प्रकाशित मेरी पूरानी पोस्ट कुछ समय संजोग अनुसार सुधार कर और कुछ नयी चीज के साथ प्रस्तूत है ।





भारत के एक जमाने के मशहूर पियानो वादक श्री केरशी मिस्त्री साहब का जन्म २ फरवारी, २०१९ के दिन, भारत की पहली हिन्दी फिल्म (बोलती) आलम आरा के संगीतकार श्री पिरोज़ मिस्त्री साहब के यहाँ हुआ था । इस तरह संगीत के संस्कार उनहें पैदायसी प्रप्त हुए । पढाई के बाद वे एच. एम. वी. में पियानो वादक और वाद्यवृन्द संचालक बने । और उनके साथ ज्न्होंने कई वादक कलाकारों को अपने संचालनमें कई ७८ अर. पी. एम. तथा ई.पी.स और एल. पी.स में स्थान दिया ।

एक धून पियानो पर उनकी अंतीम बजाई हुई धूनों में से प्रस्तूत है ।

बुधवार, 15 फ़रवरी 2012

हरीष भीमाणी जी को जनम दिन की बधाई -देख़े और सुने उन्हें मेरे साथ

आज जानेमाने रेडियो और टीवी प्रसारक, समाचार वाचक, वॉईस ओवर के कलाकार, अदाकार, धारावाहीक लेख़क, निर्माता, निर्देषक और अभिनेता और बी आर टी वी के महाभारत के सुत्रघार 'समय' श्री हरीष भीमाणीजी का जनम दिन है और करीब दो साल पहेले इसी मंच पर मैनें उन पर एक लेख़ प्रकाशित किया था । और तब से इक ख़्वाहीश मनमें बनी थी, और उनसे नेट चेट के समय सैद्धांतीक रूप से सहमती भी पायी थी, कि जब भी हमारा दोनों को आमने सामने रूबरू होने का मोका मिले, एक बातचीत द्रष्यांकित करनी है । और दिसम्बर, 2010 की 20 तारीख़ को भगवानने मेरी सुनाओ ली और हमारी प्रथम सदेह भेट हुई उनके कार्यालय कम स्टूडियोमें साम को । तो आज उनको जनम दिन की और सिर्फ़ लम्बी ही नहीं पर बड़ी जिन्दगी की शुभ: कामनाएँ देते हुए नीचे उनसे की गई बातचीत चार भागोमें प्रस्तूत कर रहा हूँ और इस पोस्ट की पाँचवी विडीयो में आप उनको समय के रूपमें फ़िरसे सुनाओ पायेंगे ।

ख़ंड: 1

ख़ंड: 2


ख़ंड: 3

ख़ंड: 4

समय: यहाँ पहेले देख़ीये और सुनीये दि. 18 फर्वरी, 2012 के दिन श्री हरीष भीमाणीजी के कार्यालय पर उनके साथ हुई मेरी एक और बात चीत जिसमें विषय है " महाभारत -दूर दर्शन के धारावाहीकमें 'समय' की कहानी हरीष भीमाणीजी की जबानी " जिसे दि. 24 फरवरी. 2012 के दिन यहाँ जोड़ा गया है । आज रेडियो श्रीलंका से श्रीमती ज्योति परमारजीने हरीषजी के लिये मेरी बधाई प्रस्तूत की उसकी रेकोर्डिंग यहाँ सुनिये
पियुष महेता ।
सुरत ।

रविवार, 12 फ़रवरी 2012

रेडियो श्रीलंका के भूतपूर्व उद्दघोषक और मेरे मित्र श्री रिपूसूदन कूमार ऐलावादी को देख़ीये और सुनिये उनके जनम दिन पर बधाई के साथ

रेडियोनामा में एक लम्बे समय पहेले प्रस्तूत एक रिपूसूदन कूमारजी की एक मूलाकात आज उनके जनम दिन पर इस ब्लोग पर फ़िरसे प्रस्तूत है । साथमें आज मेरे द्वारा रेडियो श्रीलंका पर भेजे गये बधाई संदेश को श्रीमती नलिनी मालिका परेरा की आवाझमें ।

मेरी मुम्बई यात्रा दौरान दि. २८-०२-२००८ के दिन पारसी जनरल अस्पतालमें स्व. केरसी मिस्त्री से अन्तीम मुलाकात की और दि. २९-०२-२००८ के दिन श्री गोपाल शर्माजी द्वारा परिचयमें आये रेडियो श्री लंका के भूतपूर्व उद्दघोषक श्री रिपूसूदन कूमार ऐलावादीजी से समय ले कर उनके यहाँ दो पहर १२-३० पर पहोँचा तब वे बहोत उष्मा से मेरा स्वागत किया । कुछः इधर उधर की बात कर के मैनें उनसे मेरी उनके साथ हुई बात चीत को अपने केमेरे में कैदै करने की बात कही तो वे सहमत हो गये । उस समय उनके धर पर हम दोनों के सिवा तीसरा कोोई नहीं था । इस लिये मैनें एक बिन कुशल विडीयो ग्राफर और इन्टर्व्यूअर की दो जिम्मेवारी निभाई । इस लिये मोनिटरिंग के कारण मेरे सर का उपला हिस्सा दृष्यांकनमें दिखता नहीं है और शुरूआतमें प्रकाश थोडी़ कम है । एक और बात, कि फोर्मेट परिवर्तनमें भी गुणवत्ता नुकसान थोडा़ होता है ।
तो देखि़ये दो हिस्सोमें
भाग 1

भाग 2



अब नीचे सुनिये रेडियो प्रसारण का वो अंश, जिसमें आज श्री रिपूसूदनजी को रेडियो श्रीलंका की हिन्दी सेवा की उद्दघोषिका श्रीमती नलिनी मालिका परेराने मेरे द्वारा भेजे गये संदेश के साथ बधाई दी जिसमें बादमें दिल्ही के दर्शन सिंह द्वारा भेजा गया संदेश भी प्रसारित हुआ जो यहाँ साथ जोड़ा गया है ।



पियुष महेता
सुरत

मंगलवार, 3 जनवरी 2012

हिन्दे फिल्म संगीत के महान इले. हवाईन गिटार वादक स्व. सरदार हझारा सिंघ को उनकी पूण्य तिथी पर श्रद्धांजलि

भारतीय फिल्म संगीतके अनगिनत वादक कलाकारोमें एक समयका जानामाना नाम है सरदार हझारा सिध जिन्हों ने अपनी धूनों के कई रेकोर्ड्झ तो प्रस्तूत किये ही, पर मूल गानोंमें भी उनका मह्त्वपूर्ण योगदान रहा है
और ओ पी नैयर, सचीन देव बर्मन अर शंकर जयक्शन के वे ख़ास गिटार वादक रहे थे । और आज उनकी 39वी पूण्यतिथी है । उनका मूल वतन करांची रहा था, और उन्हेमुम्बई आमंत्रीत किया था, उस जमाने के मशहूर सेक्षोफोन वादक स्व. रामसिंध जीने जो मनोहरीदा के भी प्रेरणास्त्रोत हे थे । पर उनकी मृत्यू सिर्फ़ 50 साल की उम्र में ही हुई थी । मूझे आज भी याद है, कि उस समय रेडियो सिलोन के साप्ताहीक कार्यक्रममें सोमवार रात्री 10 बजे उनकी बजाई अंतीम ईपी रेकोर्ड में से एक धून चल अकेला फिल्म संबंध) बजा कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई थी । मूझे तारीख याद नहीं थी और मैं जानने की कोशिशमें ही था कि आज रेडियो सिलोन के हिन्दी प्रसारण के अन्तमें ये बात बता कर ज्योति परमारने शाब्दीक श्रद्धांजलि दी पर किस श्रोताने यह जानकारी दी वह नहीं बताया । उन्हों ने जिन गानोंम बजाया था, और उनकी शैली स्पस्ट दिख़ती है, वैसे गानोंमें से कुछ: को नीचे याद किया है ।
1. मेरा नाम चिन चिन चू (हावडा ब्रिज) 2. जाने क्या मेरा दिल (झिद्दी) 3. सबेरे वाली गाडी (लाट साहब) 4. तेरा तीर (शरारत) 5. अजी किबला (फ़िर वोही दिल लाया हूँ ) 6. तारीफ़ करूँ (कश्मीर की कली)
5. हम दम मेरे (मेरे सनम)
उन्होंने अपनी ग़िटार को डबल ब्रिज वाली बनवाई थी ।
तो यहाँ नीचे सुनिये फिल्म हावडा ब्रिज क गीत एक की दुग्गी (गायक रफ़ीजी) की धून

पियुष महेता ।
सुरत ।