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3 अक्तूबर, 1957 से विविध भारती के स्थापना दिनसे ही रेडियो सुनने की शुरूआत । ८ साल की उम्रसे ।

शुक्रवार, 8 मार्च 2013

आज 8 मार्च-प्रसिद्ध गिटार और वायोलिन वादक वान शिप्ले को श्रद्धांजलि

आज यानि दि. 8 मार्च के दिन अपनी शैली के मशहुर विद्यूत हवाईन गिटार और वायोलिन वादक स्व. वान शिप्ले की पूण्यतिथी पर उनको श्रद्धांजलि देते हुए एक थोडा अलग रूप से उनकी एक ही गाने 'आईये मेहरबान (फिल्म : हवराह ब्रिज) की दो धूने, जो दोनों इलेक्ट्रीक हवाईन ग़िटार पर ही प्रस्तूत है, पर इन दोनोंमें सप्तक कहीं कहीं अलग है और वाद्यवंद भी अलग है । 

पहली धून जब यह फिल्म कुछ साल पहेले एलपी रेकोर्डमें उन्होंनें बजाई थी जिसमें स्टीरीयो असर है और वाद्यवृंद में विजाणू वाद्य सिंथेसाईझर शामिल है । यह धून विविध भारती के राष्ट्रीय प्रसारणमें कभी प्रस्तूत हुई है और रेडियो श्री लंका से भी बजती है ।



जब की दूसरी धून भी सुनिये, जो उस समय 78 आर पी एम रेकोर्डमें उस जमानेमें बजाई थी, जब की फिल्म हावरा ब्रिज नयी और ताझा थी तो स्वाभावीक है कि यह धून मोनो रेकोर्डिंग में है और उसमें वाद्यवृंद मे6 सिर्फ दो या तीन साज़िंदे थे । यह धून सिर्फ़ रेडियो श्री लंका से ही बजती है ।

तो आशा करता हूँ, कि यह दोनों धूने आपको पसंद आयेगी । 
इन दिब्नों इन वादक कलाकारों की जन्म तारीख या मृत्यू तारीख लगातार आने के कारण मेरी पोस्टॅ करीब रोज़ाना प्रस्तूत हो रही है और आनेवाले कल भी एक पोस्ट लिख़ी जायेगी । उसके बाद मार्च महिनेमें 24 तारीख़ को एक श्रदांजलि पोस्ट प्रस्तूत होगी । कुछ पाठको को भी यह पसंद आती है तो आनंद होता है ।
आज यानि 8 मार्च, 2013 को अगर रेडियो सिलोन अपने कार्यक्रम अन्तर्गत श्रद्धांजलि प्रस्तूत करता है, और अलभ धून सुनाता है तो इस पोस्टमॆं शामिल किया जायेगा ।
पियुष महेता ।
नानपूरा, सुरत-395001.

मंगलवार, 5 मार्च 2013


पियानो और सोलोवोक्ष वादक श्री केरशी मिस्त्री को पूण्य-तिथी पर श्रद्धांजली

आज यानि दि. 5 मार्च के दिन एच एम वी (इन्डिया)के जानेमाने पियानो वादक, सोलोवोक्ष वादक और वाद्यवृंद संयोजक-निर्देषक तथा अपने मंच-कार्यक्रमोमें एकोर्डियन तथा हार्मोनियम पर पेश हुए स्व. केरशी मिस्त्रीजी की पूण्यतिथी पर उनको रेडियोनामा की और से श्रद्धांजली ।
दि. 5 मार्च के दिन मैंनें नीचे लिख़ा था ।
(मूझे खेद है कि आज ई-स्नीप की अडोडाई के कारण उनकी कोई धून और आज रेडियो श्रीलंकासे मेरी भेजी हुई जानकारी के अनुसार उद्दघोषिका श्रीमती ज्योति परमारजीने उनको श्रद्धांजली के रूपमें एक रेर धून (यहाँ रेर गाना मतलब नहीं है ।)सोलोवोक्ष और उनके दोस्त मशहूर एकोर्डियन वादक स्व. गुडी सिरवाई का इलेक्ट्रीक एकोर्डियन पर (यहाँ इलेक्ट्रीक माने एलेक्ट्रोनिक नहीं, श्री चरणजीत सिंह की सबसे पहेली EP रेकोर्डमें ट्रांसीकोर्ड को इलेक्ट्रीक एकोर्डियन कहा गया था । ) फिल्म दो आँखें बाराह हाथ के गीत ए मालिक तेरे बंदे हम प्रस्तूत हुई थी, मेरे नाम के साथ ।विविध भारती को ऐसी बात कहना बेकार साबित होता है । धून तक़निकी सुविधा अनुसार फ़िर कभी प्रस्तूत होगी ।)
पर दि. 8 मार्च, 2009 को श्री सागर भाईने इस प्लेयर की लिन्क भेजी जिससे SLBC के उसी प्रसारण को (शोर्ट वेव रिसेप्सन होने के कारण दिस्टोर्सन के साथ पर फिर भी घ्यान से सुनने पर सुनाई पदनेवाला) नीचे प्रस्तूत करता हूँ ।

एक अन्य धून स्व. केरशी मिस्त्री की पियानो पर फिल्म महेबुबा से नीचे सुनिये ।
यह पोस्ट अन्यत्र दो साल पहेले प्रकाशित हुई थी । आज रेडियो सिलोन से दि. 5 मर्च, 2013 को ज्योतिजीने मेरे संदेश के आधार पर फिल्म नया  दोर के गीत मैं बम्बई का बाबू उनके वाद्यवृंद पर प्रस्तूत की जब की मैनें उनकी सोलोवोक्ष और उनके मित्र गुडी सिरवाई की एकोर्डियन पर जूगलबंदी वाली धून फिल्म जोहर इन कश्मीर के गीत बन गई दिवार  मांगी थी । और ज्योतिजीने अर्थघटन वैसे किया जैसे मैं कहना चाहता हूँ कि इस मूल  गीत में केरशी मिस्त्री साहब का योगदान था, पर अगर हो तब भी मूझे पता नहीं है ।

पियुष महेता
सुरत ।