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3 अक्तूबर, 1957 से विविध भारती के स्थापना दिनसे ही रेडियो सुनने की शुरूआत । ८ साल की उम्रसे ।

शुक्रवार, 5 अगस्त 2011

एक नयी शुरूआत : जानेमाने रेडियो श्रोता राजकोट के श्री मधुसूदन भट्ट से एक चर्चा

आदारणीय पाठक-गण,

रेडियोनामा ब्लोग की मेरे द्वारा लिख़ी भूतकाल की कई पोस्टो पर जानिमानी कई रेडियो-प्रसारको या फ़िल्मी वादक कलाकारों या हिन्दी फिल्मों के इतिहास के संशोधनकर्ताओं से मेरी बातचीत को आपमें से कई लोग देख़ चूके होगे और यह सिलसिला भी समय समय पर जारि रहेगा जैसे जैसे मूझे ऐसे संयोग प्राप्त होगे । पर आज एक नयी बात इस प्रकार होगी कि इस श्रृंखलामें जानेमाने रेडियो श्रोता से साक्षात्कार की भी शुरूआत हो रही है और इसे रेडियोनामा पर रख़ने के इरादे से करीब एक साल पहेले रेकोर्ड (यानि दृष्यांकीत किया था । पर जनम तारीख़ और मृत्यू तिथी के बारेमें समय समय पर पोस्ट प्रकाशित करने के सिलसिलेमें और एक सामुहीक ब्लोग के सदस्य होने के नाते इसे प्रकाशित करना थोडा विलम्बीत हो गया था कि रेडियोनामा का स्वरूप बदल दिया गया और वहाँ इसे प्रकाशित करने की कोई गुंजाईश ही नहीं रही । यहाँ मेरा ऐसा कहने का कोई इरादा नहीं है, कि वहाँ के परिवर्तन से कुछ अच्छा नहीं हुआ है और मानता भी हूँ कि काफ़ी नयी नयी बातें कई लोगोसे जाननी भी मिली । पर मिडीया कर्मी और आम श्रोता के संयोगोमें आभ धरती का अन्तर होगा और फिल्मी नगरी में रहेने में और वहाँ से काफ़ी दूर होने भी काफ़ी संयोग बदल जाते है । हा, सुरत मुम्बई से देश के अन्य इलाकों के मुकाबले कुछ नज़दीक जरूर है और इसका एक हद तक लाभ मूझे जरूर मिला है । तो इस प्रकार शायद प्रसार माध्यम कर्मी लोगो की नझर से शायद आम पर मूझ जैसे आम श्रोता की नझरमें उँचे प्रकरके श्रोता में से एक वैसे राजकोट निवासी श्री मधुसूदन भट्ट के एक मुलाकात यहाँ प्रस्तूत की है जो उनकी मेरे धर उनके आने पर एक याद के रूपमें ली गई थी ।

तो सुनिये और देख़ीये श्री मधुसूदन भट्ट को मेरे साथ :



अगर आप सिर्फ़ सुनना ही चाहते है तो ध्वनिमूद्री नीचे प्रस्तूत की है ।


आपका दोस्त,
पियुष महेता ।
सुरत-395001.

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