भारतीय फिल्म संगीतके अनगिनत वादक कलाकारोमें एक समयका जानामाना नाम है सरदार हझारा सिध जिन्हों ने अपनी धूनों के कई रेकोर्ड्झ तो प्रस्तूत किये ही, पर मूल गानोंमें भी उनका मह्त्वपूर्ण योगदान रहा है
और ओ पी नैयर, सचीन देव बर्मन अर शंकर जयक्शन के वे ख़ास गिटार वादक रहे थे । और आज उनकी 39वी पूण्यतिथी है । उनका मूल वतन करांची रहा था, और उन्हेमुम्बई आमंत्रीत किया था, उस जमाने के मशहूर सेक्षोफोन वादक स्व. रामसिंध जीने जो मनोहरीदा के भी प्रेरणास्त्रोत हे थे । पर उनकी मृत्यू सिर्फ़ 50 साल की उम्र में ही हुई थी । मूझे आज भी याद है, कि उस समय रेडियो सिलोन के साप्ताहीक कार्यक्रममें सोमवार रात्री 10 बजे उनकी बजाई अंतीम ईपी रेकोर्ड में से एक धून चल अकेला फिल्म संबंध) बजा कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई थी । मूझे तारीख याद नहीं थी और मैं जानने की कोशिशमें ही था कि आज रेडियो सिलोन के हिन्दी प्रसारण के अन्तमें ये बात बता कर ज्योति परमारने शाब्दीक श्रद्धांजलि दी पर किस श्रोताने यह जानकारी दी वह नहीं बताया । उन्हों ने जिन गानोंम बजाया था, और उनकी शैली स्पस्ट दिख़ती है, वैसे गानोंमें से कुछ: को नीचे याद किया है ।
1. मेरा नाम चिन चिन चू (हावडा ब्रिज) 2. जाने क्या मेरा दिल (झिद्दी) 3. सबेरे वाली गाडी (लाट साहब) 4. तेरा तीर (शरारत) 5. अजी किबला (फ़िर वोही दिल लाया हूँ ) 6. तारीफ़ करूँ (कश्मीर की कली)
5. हम दम मेरे (मेरे सनम)
उन्होंने अपनी ग़िटार को डबल ब्रिज वाली बनवाई थी ।
तो यहाँ नीचे सुनिये फिल्म हावडा ब्रिज क गीत एक की दुग्गी (गायक रफ़ीजी) की धून
पियुष महेता ।
सुरत ।
इस ब्लोगमें रेडियो श्रोताके रूपमें आने वाले दिनों मूझे होए वाले अनुभव , कुछ समिक्षा किसी बडी रेडियो या सिने-संगीतसे जूडी हस्ती से मुलाकात (मिल पाती है तो) प्रकाशित होगी । ज्यादा बातें रेडियो सिलोन और विविध भारती सेवा की होगी । पर कभी कभी हो सकता है कि बात रेडियो से नहीं पर जिसके कारण रेडियो है, वह संगीत के बारेमें जरूर होगी ।
मेरे बारे में
- PIYUSH MEHTA-SURAT
- 3 अक्तूबर, 1957 से विविध भारती के स्थापना दिनसे ही रेडियो सुनने की शुरूआत । ८ साल की उम्रसे ।
मंगलवार, 3 जनवरी 2012
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