आज यानि दि.अ 28 अप्रैल के दिन आवाझ की दुनिया के सरताझ वैसे अमीन सायानी साहब के सबसे अच्छे विज्ञापन प्रसारण के साथी रहे, वैसे श्री ब्रिज भूषण जी को जनम दिन की शुभ: कामनां के साथ आप की सेवामें प्रस्तूत है, उनके साथ शायद सबसे पहेला दृष्य लधू वार्तालाप यानि आज तक़ वे केमेरे के सामने कम से कम मूझे तो दिख़ाई नहीं दिये थे, पर मैं अपनी करीब 12 साल की उम्र से उनकी आवाझ के जादू से परिचीत रहा हूँ ।
तो उनके मिलने और देख़ने के लिये कितने सालों सेअ मन तड़प रहा था । पर उनकी व्यस्तता और मेरे मुम्बई में उनके घर या कार्यलय से लम्बे अंतर पर रहे कम दोनों के ठहराव के कारण सैध्धांतिक रूप से मिलना तय होने पर भी नहीं हो सका था, पर इश्वर या कुदरतने और ब्रिजजीने यह मुमकीन कर ही दिया तो जो थोड़ी सी याद उनकी अपने निजी संग्रह के लिये अपने द्वारा ही विडीयोग्राफ़ी करके लाया था (जिसमें लाईट सेटींग या ध्वनि रेकोर्डीग भी अपनी तरह की शमिल है) , उसे आप के साथ बांटना चाहता हूँ । वे सिर्फ़ उद्दघोषक ही नहीं पर फिल्म संगीतकार, डबिंग कलाकार (उपहार-स्वरूप दत्त और सरस्वती चन्द्र-मनिष कूमार) तथा मन मेरा तन तेरा (कोलेज आचार्य बने पात्र के लिये) तथा गायक (पूरब और पश्चिम), तथा हाल वोईस ओवर कलाकार
तो नीचे (पहेली वार) देख़े और एक और बार सुने (मेरे साथ पहेली बार ही) ब्रिज भूषण जी को :
पियुष महेता (सुरत)
तो उनके मिलने और देख़ने के लिये कितने सालों सेअ मन तड़प रहा था । पर उनकी व्यस्तता और मेरे मुम्बई में उनके घर या कार्यलय से लम्बे अंतर पर रहे कम दोनों के ठहराव के कारण सैध्धांतिक रूप से मिलना तय होने पर भी नहीं हो सका था, पर इश्वर या कुदरतने और ब्रिजजीने यह मुमकीन कर ही दिया तो जो थोड़ी सी याद उनकी अपने निजी संग्रह के लिये अपने द्वारा ही विडीयोग्राफ़ी करके लाया था (जिसमें लाईट सेटींग या ध्वनि रेकोर्डीग भी अपनी तरह की शमिल है) , उसे आप के साथ बांटना चाहता हूँ । वे सिर्फ़ उद्दघोषक ही नहीं पर फिल्म संगीतकार, डबिंग कलाकार (उपहार-स्वरूप दत्त और सरस्वती चन्द्र-मनिष कूमार) तथा मन मेरा तन तेरा (कोलेज आचार्य बने पात्र के लिये) तथा गायक (पूरब और पश्चिम), तथा हाल वोईस ओवर कलाकार
तो नीचे (पहेली वार) देख़े और एक और बार सुने (मेरे साथ पहेली बार ही) ब्रिज भूषण जी को :
पियुष महेता (सुरत)