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3 अक्तूबर, 1957 से विविध भारती के स्थापना दिनसे ही रेडियो सुनने की शुरूआत । ८ साल की उम्रसे ।

गुरुवार, 23 मई 2013

रेडियोनामा के जन्मदाता और ब्लोगींग की दूनियामें मेरे पिता श्री सागर नहार से रूबरू


रेडियोनामा के जन्मदाता और ब्लोगींग की दूनियामें मेरे पिता श्री सागर नहार से रूबरू (30 नवम्वर, 2009 के दिन)

आदरणिय पाठक गण,
(कल वे मेरे घर फ़िर से आये तो फेसबूक के रेडियो विश्व गृप के सदस्यों के उनके साथ मेरी तसवीर दिख़ाने के अनुरोध पर यहाँ वो पूरानी पोस्ट को फ़िर से जारि किया है ।)
रेडियोनामा के हमारे युनूसजी के रेडियोवाणी द्वारा परिचीत और ब्लोगींग की दुनियामें मेरे 'पिता' (यह प्रयोग एक रूपसे जानेमाने रेडियो प्रसारक श्री मनोहर महाजनजी की 'नकल' है, जिन्होंनें श्री हरमंदिरजी 'हमराझ'के हिन्दी फिल्मी गीतकोष के के वोल्यूमके रिलीझ कार्यक्रममें श्री गोपाल शर्माजी के लिये 'दादा', उनके पहेले आये पर गोपल शर्माजी के बाद रेडियो सिलोन गये स्व. शिवकूमार 'सरोज' के लिये 'पिता' और उनके बाद रेडियो श्रीलंका गये श्री रिपूसूदन कूमार ऐलावादीजी के लिये 'पुत्र' के रूपमें रेडियो प्रसारण की दुनिया के सम्बन्धमें परिचय दिया था, जो रेकोर्डिंग मूझे मेरे सुरत निवासी मित्र श्री हरीशभाई रघुवंशीजी के यहाँ देख़नेको काफ़ी समय पहेले देख़नेको मिली थी ।) श्री सागरभाई नहार जो एक लम्बी अवधी के ब्लोग और चेट परिचय के बाद आज मेरे घर आये थे , तो मैंनें सोचा की उनके शौख़ या उनके विचार सब तो ब्लोग पठको के लिये जाने पहचाने है । मैं सुरज को रोशनी क्या दिख़ाऊँ ! पर आप सबने उनके ब्लोगमें या रेडियोनामा पर युनूसजी की पोस्टमें उनको तसवीरमें सिर्फ़ देख़ा है , तो उनको बोलते हुए भी सुनाऊँ , जो सुन्दर भाषा बोलते है सुन्दर आवाझमें । तो सिर्फ़ थोडी सेकंड्स की छोटी अनौपचारिक बातचीत यहाँ प्रस्तूत की है । 



पियुष महेता ।
सुरत-395001.

शुक्रवार, 10 मई 2013

10 मई, विन्ड इन्स्त्रूमेन्ट्स के वादक कलाकार सुरेश यादवजी को मेरे उनसे साक्षात्कार के साथ जनम दिन की बधाई


आज भारतीय फिल्म-संगीत उध्योग के जानेमाने सब तरह के सेक्षोफोन, क्लेरीनेट और वेस्टर्न फ्ल्यूट के वादक कलाकार श्री सुरेष यादवजी की जनम तारीख़ पर उनको बधाई देते हुए यहाँ सबसे पहेले देख़ीये उनकी सुरत शहरके एक स्टेज शॉ के लिये हुई मुलाकात के दौरान उनके ठहराव पर की गई छोटी सी मुलाकात :



आदरणिय पाठक गण, आज यानि दि. 10 मई को भारतीय फिल्म संगीत में अल्टो सेक्षोफोन, सुप्रानो सेक्षोफोन, सुप्रानिनो सेक्षोफोन, क्लेरीनेट और वेस्टर्न फ्ल्यूट वादन द्वारा सालों से कई संगीत कारों के साथ तथा एक वाद्यवृंद एरेन्जर के रूपमें विषेष प्रदान करने वाले श्री सुरेष यादव की जनम तारीख़ है । तो इस अवसर पर रेडियोविश्व की और से उनको शुभ: कामनाएँ प्रदान करता हूँ । 



और अब देख़ीये भी और सुनिये भी, नीचे गुजरात के बिल्लीमोरा शहरमें दि. 20 फरवरी, 2010 के दिन उनका सजीव शॉ प्रसिद्ध एकोर्डियन वादक श्री सुमीत मित्रा के साथ किया था, उसमें से कुछ आईटम्स या उसके कुछ अंश प्रस्तूत किये है । उम्मीद है कि आप उनका मझा लेंगे । 
बन के पंछी-(फिल्म : अनारी) क्लेरीनेट पर


एक दो तीन-(फिल्म : तेजाब)-सुप्रानिनो सेक्षोफोन पर् (जो मूल फिल्ममें भी इन्होंने ही बजाया है ।)


एक प्यार का नग्मा है – (फिल्म: शोर) अल्टो सेक्षोफोन पर


माय हार्ट इझ बिटींग (फिल्म ज्यूली) वेस्टर्न फ्ल्यूट (जो मूल फिल्म में उन्होंने ही बजाया है )


चोली के पीछे क्या है –(खल नायक) सुप्रानिनो सेक्षोफोन पर (जो मूल फिल्ममें उन्होंनें ही बजाया है )


तो एक बार फ़िर सुरेष यादवजीको जनम दिन की शुभ: कामनाएँ और वे सो साल तक़ इसी तरह बजाते रहे वैसी शुभ: कामना ।
पियुष महेता
सुरत-395001.