आदरणीय पाठक गण,
आज इस मंच पर यह मेरी पहली पोस्ट है । आज तक़ रेडियोनामा पर मैं लिख़ता चला आया हूँ । पर अब वहाँ रेडियो प्रसारण से सक्रीय रूप से जूड़े लोगो की सक्रीयता बढ़ी है वह एक रूप से अच्छी बात तो है ही, पर इस कारण उन लोगो की पोस्ट को तीन चार दिन प्रथम पन्ने पर रहेने देने के एक तरफ़ तक़नीकी दल आग्रही है तो दूसरी तरफ़ हम जैसे लोग इस मर्यादा का पालन करते है और इस पश्चात ही अपनी पोस्ट रख़ते है तो इस प्रकार के दूसरी या तीसरी कोटी के पोस्ट लेख़को को यह सहूलीयत नहीं मिलती है और किसी व्यक्ती विषेष के जनम दिन या मृत्यू दिन पर (यह ख़ास तौर पर अनसंग हीरोझ की बात है) तो तक़नीकी दल हमारे लिये बनाये नियमो का आग्रह रख़ता है तो मूश्कील होती है । तो इस लिये इस मंच का बनाना जरूरी माना है । अगर रेडियोनामा का तकनीकी दल इस मंच को अपना हिस्सा मान कर लिन्क रेडियोनामा से जोडना पसंद करता है तो खूशी की बात है । एक और बात की रेडियोनामा दल मेरी लिख़ाईमें मात्रा की गलतियोँ पर ज्यादा ध्यान देता है और कंटेन्ट्स पर थोडा कम, और वे अपनी जगह सही भी है । पर यह एक मेरी मर्यादा समझो, कि कभी मेरी इस विषय के ज्ञानमें कमी के कारण या कभी समय अभाव के कारण जल्दबाजीमें या कभी थक़ान के कारण जल्दबाजीमें मेरे लिये इस विषयमें सम्पूर्ण सही रहना मूमकीन नहीं हो पाता है । इस लिये वाचक क्षमा दे । इतनी बात कह कर मूल विषय पर आ जाता हूँ, कि रेडियो सिलोन यानि रेडियो श्रीलंका की सुबह की हिन्दी सेवा सत्तावार रूपसे तो नेट पर ओन लाईन प्रसारित होनी है, पर कभी देरी से या कभी बिलकूल नहीं या कभी शुरू हो कर बंद हो जाना या कभी प्लेयर का अपने आप रूक कर फ़िरसे प्ले करना पड़ना यह रोज़ की बात बन गई है, जब की रेडियो सिलोन की अन्य भाषाओं के नेट प्रसारण में इस प्रकार कोई रूकावट बार बार नहीं होती और 25 मीटर या 41 मीटर को भी डिजीटल रेडियो पर ट्यून करके पहेले से रख़ते है तो कभी बहोत ही धीमी आवाझ फूल वोल्यूम पर मिलती है या कभी बिलकूल नहीं मिलती है, जो यकायक 6 से 6.20 बजे के बीचमें इस तरह सही रूप से शुरू हो जाती है, जैसे ट्रांस्मीटर देरी से ही ऑन किया गया हो, और इन दोनों सेवा के लिये ओल इन्डीया रेडियो के ट्रांस्मीसन एघ्झीक़्यूटीव की तरह मोनीटरींग नहीं होता है और श्रोता लोग के फोन कोल्स पर ही उद्द्घोषिकाएँ कार्यवाही करवाती है । तो यह सब हिन्दी प्रसारण में ही क्यो ? यह तो श्रीलंका ब्रोडकास्टींग कोर्पोरेशन की जगह वहाँ तक सिर्फ़ श्रीलंका स्तूडियो कोर्पोरेशन हो जाता है । और अमरिका जैसे श्री लंका से शॉर्ट वेव प्रसारण की मर्यादा बाहर के देश के हिन्दी भाषी श्रोता नेट पर अप्राप्यता के हाल में कैसे बेहाल होगे !
इस ब्लोगमें रेडियो श्रोताके रूपमें आने वाले दिनों मूझे होए वाले अनुभव , कुछ समिक्षा किसी बडी रेडियो या सिने-संगीतसे जूडी हस्ती से मुलाकात (मिल पाती है तो) प्रकाशित होगी । ज्यादा बातें रेडियो सिलोन और विविध भारती सेवा की होगी । पर कभी कभी हो सकता है कि बात रेडियो से नहीं पर जिसके कारण रेडियो है, वह संगीत के बारेमें जरूर होगी ।
मेरे बारे में
- PIYUSH MEHTA-SURAT
- 3 अक्तूबर, 1957 से विविध भारती के स्थापना दिनसे ही रेडियो सुनने की शुरूआत । ८ साल की उम्रसे ।
मंगलवार, 28 जून 2011
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