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3 अक्तूबर, 1957 से विविध भारती के स्थापना दिनसे ही रेडियो सुनने की शुरूआत । ८ साल की उम्रसे ।

गुरुवार, 15 सितंबर 2011

बोलिवूड अभिनेता-निर्देषक श्री क्रिष्नकान्तजी -आप जीयो हज़ारो साल-जनम दिन म्बारक

आदरणीय पाठक और दर्षक गण,

आज हिन्दी, गुजराती, बांगला और अंग्रेजी फिल्मो तथा नाटक और छोटे परदे के अभिनेता और निर्देषक आदरणीय श्री क्रिस्नकान्तजी नवासी साल पूरे करके अपना नव्बेवाँ जनमदिन मना रहे है तो इस अवसर पर उनको बधाई देते हुए और उनकी लम्बी पर स्वस्थ आयु की शुभ:कामना करते हुए उनसे इस अवसर पर उनकी फिल्मी यात्रा के बारेमें मेरे द्वारा की हुई बातचीत को नीचे देख़ेंगे ।

तो पहेला भाग देख़ीये ।

और अब दूसरा और अंतीम भाग देख़ीये ।

और अब उपर वाली बात चीत का श्राव्य वर्झन सुनिये ।

और अब रेडियो श्रीलंका-हिन्दी सेवा द्वारा श्री क्रिष्नकांतजी के जनम दिन पर श्री पद्दमिनी परेराजी द्वारा प्रस्तूत पूरानी फिल्मो के गीतो के कार्यक्रम के एक हिस्से को सुनिये जो मेरे द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर है ।
और अब सुनिये विविध भारती की विज्ञापन प्रसारण सेवा के सुरत केन्द्र के फोन इन कार्यक्रम हल्लो सुरत एफ एम स्पीकींग (प्रस्तूती – रूपेश दवे) का मेरी क्रिष्नकान्तजी के बारेमें गुजरातीमें बात और फरमाईश सुनिये (प्रसारीत 13-09-2011).

और अब बडोदरा निवासी लेख़क पत्रकार श्री बिरेन कोठारी के ब्लोग पर उनका गुजराती लेख़ कुछ क्रिष्नकान्तजी के फिल्मी सीन्स को देख़ें ।
http://birenkothari.blogspot.com/2011/09/blog-post_14.html



और इस बातचीत में समय मर्यादा के कारण जो फिल्मो और नाटको तथा टीवी धारावाहीको के बारेमें बाते छूट गई है, यानि अवकाश नहीं मिला उन के साथ पूरी फिल्मोग्राफ़ी नीचे आप देख़ और पढ पायेंगे, जिसको तैयार करनेमें सुरत के हम सब के मित्र तथा भारतीय फिल्मों के अंकसास्त्री तथा इतिहासकार और कई पुस्तको के संयोजक और संकलनकार वैसे श्री हरीष रघुवंशी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है । क्यों की कई कलाकार, जिनको अपनी पिछली पूरानी फिल्मो की सम्पूर्ण बातें अगर याद नहीं आती है तो वे श्री हरीषभाई का सम्पर्क करते है । (यहाँ एक बात का जिक्र करना जरूरी है कि इसी नाम के अन्यकलाकार भी थे जिनका असलीनाम कुछ और था, पर हमारे आज के क्रिष्नकान्तजी से वे क्छ सिनियर थे, पर एक फिल्ममें वे दोनों साथ साथ हो गये थे तब उन्होंने अपनी पहचान अपने असली नाम स ही बनानी शुरू कर दी थी ।

पियुष महेता ।
सुरत ।