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3 अक्तूबर, 1957 से विविध भारती के स्थापना दिनसे ही रेडियो सुनने की शुरूआत । ८ साल की उम्रसे ।

सोमवार, 14 नवंबर 2011

बोलिवूड संगीतके जानेमाने टेनर और सुप्रानो सेक्षोफोन तथा वेस्टर्न फ्ल्यूट वादक श्री श्यामराजजी को जनम दिन की शुभ: कामना ।

14 नवम्बर, 1948 के दिन काठमान्डू नेपालमें जन्में जाने पहचाने सेक्षोफोन और वेस्टर्न फ्ल्यूट वादक श्यामराजजी के श्री एनोक डेनियल्स साहब के साथ बिल्लीमोरा के श्री नरेश मिस्त्री द्वारा 21 फरवरी, 2009 के दिन अयोजीत एक कार्यक्रममें मिलनेका और दोनों को साथ सुननेका मोका मिला था, जिसका जिक्र मैं पिछली कुछ पोस्टोंमें कर चूका हूँ । जिसमें एक 16 अप्रैल, 2009 के दिन श्री डेनियेल्स साहबके जनम दिन के दिन थी और बादमें एक पोस्ट श्री श्यामराजजी से किये गये
विडीयो साक्षात्कार , जो सुरतमें किया था, तो आज उनको जनम दिन की बधाई देते हुए रेडियोनामा की मेरी पुरानी पोस्टो में से दो को यहाँ एक साथ संयोजा है जिसमें मेरे साथ की गई वातचीत का दृष्यांकन भी शामिल है ।

http://radionamaa.blogspot.com/2009/03/blog-post_14.html?utm_source=feedburner&utm_medium=feed&utm_campaign=Feed%3A+http%2Fradionamaablogspotcom+%28radionamaa%29
पर थी । और वह इस मंच पर दिख़ाया भी गया था और इन दोनों साझों पर उनके द्वारा छोटी छोटी झलके प्रस्तूत की गयी थी ।
तो आज उनको जनम दिन की ढेर सारी बधाईयाँ रेडियोनामा की और से देते हुए,
1. टेनर सेक्षोफोन पर फिल्म शोले के गीत महेबूबा की धून




तथा 2. वेस्टर्न फ्ल्यूट पर फिल्म शॉर के गीत एक प्यार का नग्मा है ।


इधर नरेशभाई मिस्त्री और गुन्जन ललित कला के सौजन्य से प्रस्तूत की है ।
श्यामराज जी ने इस धूनो को अपना स्पर्श बखूबी दिया है । उद्दधोषक थे विज्ञापन प्रसारण सेवा, विविध भारती, पूणे के स्थायी उद्दघोषक श्री मंगेश वाघमारे है {
निख़ील महामूनी (सिंथेसाईझर), विजय मूर्ती (बास गिटार ),कमल निम्बारकर (स्पेनिश गिटार), विजय अत्रे (अक्टोपेड), केदार मोरे (ढोलक और बोन्गा), डो. राजेन्द्र दूरकर (तबला), नरेन्द्र वकील (साईड रिधम) उनके सथी दार है ।
सेक्षोफोन वादक श्री श्याम राजजी से पहेली मुलाकात बिल्लीमोरा के एक स्टेज शॉ में श्री एनोक डेनियेल्स साहबने करवाई थी । और उन दोनों का संयूक्त शॉ वहाँ की कल संस्था गुंजन ललित कला निकेतन और उनके प्रमूख कर्ताहर्ता श्री नरेशभाई मिस्त्रीने प्रबंधीत किया था, जिनसे मित्रता भी श्री डेनियेल्स साहब की देन है, उसी दिन श्री एनोक डेनियेल्स साहब का और श्याम राजजी का, दोनों के विडीयो इंटर्व्यूझ करने का इरादा था और उनकी भी सहमती थी, पर हमारा शॉ के कुछ ही घंते पहेले पहोंचना, फिर रात्री भोजन करने बाहर निकलना और फिर शॉ के बाद रात्री ही सुरत की और चल पड़ना, यानि की लौट पड़्ना, इस के कारण वहाँ हो नहीं सका । पर उस शॉ की थोडी सी बात कर लूं, कि श्री डेनियेल्स साहब आज भी एकोर्डियन बजानेमें 76 साल के नौजवान है । और श्यामराज जी भी 61वे सालमें होते हुए भी अपनी मज़बूत सांस से सेक्षोफोन और वेस्टर्न फ्ल्यूट बजाते है । और वहाँ की पब्लीक का तो क्या कहना ? मैंनें कार्यक्रम शुरू होने से पहेले पिछे देख़ा था तो होल खाली लगता था । (मैं दूसरी लाईन में था ।)बादमें कार्यक्रम दौरान यकायक पिछे देख़ा तो पूरा होल भरा था, यानि शिस्तबद्ध पब्लीक था। आइटम समाप्ती पर ताल मिला कर तालियाँ और विषिष्ट आइटम्स पर वन्स मोर । दोनों कलाकारोंने सोलो और युगलबंधीमें परफोर्म किया । श्री एनोक देनियेल्स साहबने मांग के साथ तूम्हारा (फिल्म नया दौर ), बाबूजी धीरे चलना (आर पार) और हर दिल जो प्यार करेगा (संगम : जिसमें असल गानेमें इस साझ को उठाव देनेके लिये दो एकोर्डियन श्री डेनियेल्स साहबने और सुमित मित्राजीने बजाये थे ।)जैसी कई शूनें ऐसी बजाई जो उनकी रेकोर्डझ, केसेट्स या सीडी कोई रूपमें प्रकाशित नहीं हुई थी । विज्ञापन प्रसारण सेवा पूना के स्थायी उद्दधोषक श्री मंगेश वाघमारेजी का कम्प्रेरींग भी बहोत बढ़िया रहा । श्री श्यामराजजीने भी राहूल देव बर्मन साहब के कई गानो को अपने साझ पर बख़ूबी अन्जाम दिया । पूरानी वेस्टर्न धून टक़ीला को इन दोनो कलाकारो ने बहोत सुन्दर तरीके से पेष किया । और इसके साथ श्री डेनियेल्स साहब का सुरतमें 39 साल पहेले देख़ा शॉ याद आ गया जिसमें भी यह धून उन्होंने बह्जाई थी । साउंड पहली लाईन में भी सह्य रहा यह इस शॉ की बड़ी बात रही । यह शो दि. 21वी फरवारी, 2009 का था ।
उसके बाद श्री नरेशभाईने फोन पर दि. 8 मार्च, 2009 के दिन बताया की श्यामराज जी सुरत 9 तारीख़ के के शॉमें आ रहे है, यो श्यामराजजी से सम्पर्क होने पर उन्होंने बताया । बह शॉ सुरत के पप्पू म्यूझीक गृप द्वारा स्व आर. डी बर्मन साहब के मानमें था । और मुम्बई सिने म्यूझिशियंस एसोसियेशन के साथ जूडे हुए कई दिग्गज बादक कलालार आने थे । तो मैँ शाम 6.15 पर उनकी सेटिंग के वक्त पहोंचा तो श्यामराजजीने मेरे कहने पर तूर्त ही सहमती जटाई छोटा इन्टर्व्यू देने के लिये और दोनों साझो पर छोटे टूकडे बजाने के लिये, जो खास रेडियोनामा के लिये है ।

तो अब देखीये मेरे साथ श्री श्यामराजजी की बातचीत (जो उनके साथ आये वायोलिन वादक श्री आसिफ़ अनसारी के केमेरा मेन की तरह सहयोग देने के कारण शक्य हुई है, इस लिये आसिफ़जी को भी धन्यवाद ) :



इसके बाद रात्री 9.30 पर शॉ हुआ तो गायक, साझिन्दें सभीने जम कर परफोर्म किया । हाँ साउंड थोडा कम होता तो और भी मझा आता ।

पियुष महेता ।
सुरत ।

4 टिप्‍पणियां:

  1. धन्यवाद पीयूषजी, बहोत खूब लिखा हैं आपने| सिर्फ एक बात दुरुस्त करना चाहूँगा "टेरर" की जगह "टेनर" चाहिए, जो सक्सोफोंनकी एक किस्म हैं|

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  2. मंगेशजी, सुधार के लिये घन्यवाद । पर मूझे आपने टेनर को उस कार्यक्रम में एक मझाक के रूपमें टेरर बना दिया था । वह कहीं सुसुप्त मन में से बाहर निकल आया । जैसे सेसोफोन को आपने मजाक के रूपमें सेक्स के साथ जोड दिया था । वह भी सीडीमें भी है । पर मित्रता के रूपमें बताई गयी गलती मेरे लिये आवकार्य है ।
    पियुष महेता ।
    सुरत ।

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  3. Saxophone सुन कर मजा आया । Flute वाले recording की आवाज जरा low लगी | Flute पर बजाया गया गाना जब जब फूल खिले का नहीं, शॊर का "एक प्यार का नगमा" है न ?

    चिदंबर काकतकर,
    मंगलूर, कर्ना्टक

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  4. श्री चिदम्बरजी,
    मैंनें जो बताया था वह गाना भी मेरे पास उन्ही का उसी साझ पर है और कहीं यू-ट्यूब से इसी दिन पिछले सालो पर इस्तेमाल किया गया था । पर आपने भूल बयाई इस लिये धन्यवाद । आप अपने फोन नं मूझे एक बार फ़िर बताईएगा जरूर ।

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