आज देरीसे ही सही मुन्ना कूमार यादवजी का सर्वे पर प्रतिभाव पढ़ा और साथ भारतीजी की टिपणी भी देख़ी । पर इन दोनों को ज्ञात होना चाहीए कि मेट्रो शहरोमें सिर्फ़ बेन्गलोर में ही विविध भारती एफ एम पर प्रसारित होता है, जब कि मूम्बई, दिल्ही, कल्कत्ता और चेन्नाईमें मध्यम तरंग पर । और इन चारों शहरोमें आकाशवाणी के दो दो एफ एम रेईनबो और एफ एम गोल्ड सहीत अन्य नीजी कई चेनल्स एफ एम पर प्रसारित् होते है । और इससे पूरा एफ एम बेन्ड ऐसा भर जाता है कि जरासी सूई घूमी की स्टेशन बदल गया । तो आज मोबाईल के यूगमें मिडीयम वेव पर कौन सुन पायेगा जो मुम्बईमें भी दक्षिण मुम्बई से प्रसारित होते हुए भी मलाडमें ट्रान्समीटर होने के कारण सिर्फ़ उत्तर मुम्बईमें ही सही रूपसे आज सुनाई पडता है ? सरकारी नितीयाँ ही कुछ ऐसी होती है कि समझमें नहीं आती या मनमें कुछ ज्यादा समझमें आती है पर बोल नहीं सकते । मेरी मुम्बई यात्रा के दोरान मूझे विविध भारती सिर्फ़ विविध भारती स्टेशन पर ही ड्यूटी रूम, या उद्दघोषको ( प्रसारण कक्ष की बात यहाँ नहीं है, क्यों कि सजीव प्रसारण दौरान वहाँ जाया नहीं जाता, सिर्फ कन्ट्रोल रूम से दिख़ता और सुनाई पडता है । ) के रूम को छोड़ सारे शहरमें सुन नहीं पाते, जब कि काफ़ी लोगो के पास शॉर्ट वेव और मिडीयम वेव वाले रेडियो ही नहीं होते है । तो इस सर्वे में कोई गलती मूझे नहीं दिख़ती है ।
पियुष महेता ।
नानपूरा-सुरत-395001.
इस ब्लोगमें रेडियो श्रोताके रूपमें आने वाले दिनों मूझे होए वाले अनुभव , कुछ समिक्षा किसी बडी रेडियो या सिने-संगीतसे जूडी हस्ती से मुलाकात (मिल पाती है तो) प्रकाशित होगी । ज्यादा बातें रेडियो सिलोन और विविध भारती सेवा की होगी । पर कभी कभी हो सकता है कि बात रेडियो से नहीं पर जिसके कारण रेडियो है, वह संगीत के बारेमें जरूर होगी ।
मेरे बारे में
- PIYUSH MEHTA-SURAT
- 3 अक्तूबर, 1957 से विविध भारती के स्थापना दिनसे ही रेडियो सुनने की शुरूआत । ८ साल की उम्रसे ।
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