आज यानि दि. 10 मार्च, 2012 के दिन जानेमाने मेन्डोलिन वादक श्री महेन्द्र भावसारजी 79 साल पूरे करके 80वे सालमें प्रवेष कर चूके है ।
श्री महेन्द्र भावसार फिल्मी संगीत की दूनिया के जानेमाने मेन्डोलिन वादक रहे । हालाकी मैं रेडियो के अलावा फिल्म संगीत के अन्य कोई सोर्स से जूडा नहीं था । साझोमें हार्मोनियम, माऊथ ओर्गन, बांसूरी, और बेन्जो ( जिसको ट्रायसेकोटो या बूलबूल तरंग नाम से मैं ज्न दिनो जानता था ) , या शादीमें बजनेवाला एक अपने आपमें खाश़ किसमका क्लेरीनेट (जिसको शायद ग्राम्य गुजरातीमें पिपूडी बोलते थे ) त्क ही करीब सिमीत था । इन दिनों करीब १९६२ से रेडियो से बजने वाली फिल्मी धूनों पर मेरे कान ठहरने लगे और प्रथम घ्यान आकर्शित हुआ पियानो-एकोर्डियन पर जो श्री एनोक डेनियेल्स बजाते थे । तो वह स्वाभाविक है कि मूझे अच्छी खिसम के हार्मोनियम जैसा लगा । इसी तरह मेन्डोलिन सबसे पहेले श्री महेन्द्र भावसार का सुना , जो सुपर क्वोलिटी का बेन्जो लगा । पर श्री एनोक डेनियेल्स की धूने तो काफी मात्रामें आती थी । जब की करीब तीन या चार साल बाद फिल्में प्यार मोहोबत, तीसरी मंझील, तीसरी कसम, आयी । उन के एक एक गाने को तथा अन्य एक गाने को ले कर एक ई. पी. श्री महेन्द्र भावसार साहब की आयी । इसके कई एक साल बाद करीब १९६७में श्री मनोहर महाजन साहब रेडियो सिलोन गये तो उन्होंने श्री महेन्द्र भावसार साहब की आवारा (दो धूनें) फिल्म जिन्दगी (पहेले मिले थे सपनोमें तथा ससुराल ( तेरी प्यारी प्यारी सुरत को) पूराने सुस्त पडे खजाने से ढूंढ निकाली थी और प्रस्तूत करने लगे थे, जिसमें वाद्यवृन्दमें अन्य कोई वाद्य नहीं था, सिवाय की स्व. सुदर्शन अधिकारी के तबले ) ।
उन्होंनें श्री अनिल विश्वासजी से आनंद मिलींद तक फिल्मोंमें बजाया है ।
उनसे मेरा परिचय श्री एनोक डेनियेल्स साहबने करवाया था और बताया (दूसरी एक और मुलाकात के समय )था कि, एच. एम. वी. के सितारें कार्यक्रम के शिर्षक संगीत का शुरूआती हिस्सा भी श्री महेन्द्र भावसार साहब का बजाया हुआ है (एल. पी. सितार गोझ लेटिन-मूख्य साझ सितार पर श्री जयराम आचार्य-वाद्यवृन्द निर्देशन-श्री एनोक डेनियेल्स) ।
श्री महेन्द्र भावसार साहब को आज के दिन के लिये बहोत बधाईयाँ और स्वस्थ तथा लम्बी आयु के लिये शुभ: कामना । आज उन्हें फोन पर बधाई तो दी थी । दि. फरवरी, 2012 के दिन उनके घर यकायक मेरा जाना तय हुआ था और गया तो, तबियत के कुछ: नाकूक दौर से वे गुजर रह्रे थे, पर उनके घर के सदस्योंने बताया कि कुछ सुधार हुआ है, आज भी फोन पर बात हुई तब भी बताया गया कि उस समय से भी आज थोड़ा और सुधार हुआ है । तो आशा करता हूँ कि मेरी भविष्यमें होने वाली मुम्बई यात्रा के दौरान वे मुझे विडीयो केमेरे के सामने अपनी संगीत यात्रा को बयान कर सके ।
तो इस अवसर पर मूझे रेडियो श्रीलंका से उद्दघोषिका श्रीमती नलिनी मालिका परेरा से सौजन्य से कुछ: ही दिनो पहेले वाद्य संगीत कार्यक्रम अंतर्गत प्राप्त फिल्म प्यार मोहोबत के गीत सुन सुन सुनरे बलम की धून नीचे उनकी तसवीर के साथ सुनिये :
इस उपलक्षमें रेडियो श्री लंकाने पिछ्ले सालों में मेरे संदेश के आधार पर मेरे नाम के साथ उनके लिये बधाई संदेश प्रस्तूत करते हुए उनकी बजाई हुई मेन्डोलिन पर फिल्म प्रिन्स (शंकर जयकिसन)के गीत मदहोश हुआ म्लवाली फिज़ा को प्रस्तूत किया । पर इनका नाम गलती से श्रीमती ज्योति परमारने महेन्द्र की जगह महेश्वर एक से अधिक बार बोल दिया । फिर उनकी सराहना इस लिये जरूरी बनी कि मेरे तूर्त ही कहने पर तूर्त ही क्षमा याचना के साथ सुधार संदेश भी प्रस्तूत कर दिया है । इस पुरी रेकोर्डिंग मेरे पास थी पर पूना के मेरे नौजवान पर फ़िर भी पुराने संगीत के शौख़ीन मित्र जो अपनी शादी के बाद अपनी श्रीमतीजी को ले कर श्रीलंका जा कर सजीव प्रसारणमें आमंत्रीत और प्रस्तूत हुए थे, वैसे श्री गिरीश मानकेश्वरजीने ई मेईल से भेजी जो मेरी रेकोर्डिंग से बहेतर होने के कारण गिरीशजी के प्रति घन्यवाद के साथ तथा श्री महेन्द्र भावसारजी को जन्मदिन कीशुभ:कामना और स्वस्थ दिर्धायु की भी कामना के साथ नीचे प्रस्तूत की है ।
पर उसमें वो सुधार शामिल नहीं था, इस लिये मेरी रेकोर्डिंगमें से काट-छाट करके नीचे प्रस्तूत की है जो गुणवत्ता में उत्तम नहीं है पर घ्यान से सुनने पर सुनाई देती है ।
आज हिन्दी फिल्म संगीतमें एक जमाने के बहोत ही सक्रिय मेन्डोलिन वादक श्री महेन्द्र भावसार के जनम दिन पर उनकी इसी साझ पर बजाई हुई फिल्म 'मन मंदीर' के गीत 'जादूगर तेरे नैना' की धून का अंश नीचे प्रस्तूत है । 1933 में आज ही के दिन पैदा हुए श्री महेन्द्र भावसार को जनम दिन की ढेर सारी बधाई और स्वस्थ लम्बे आयु की शुभ: कामनाऐं ।
यहाँ एक बात ख़ास बताना चाहता हूँ, कि आज के उनके जनम दिन के उपलक्षमें मैनें और मेरे ठाणे निवासी मित्र सुभाष कुलकर्णीने सही समय पहेले इस जानकारी को श्रीमती ज्योति परमार को बताया था, और आज भी ध्यानाकर्षित किया, पर कौन जाने आज उन्होंने ठान ली थी, कि इस बात को जाना-अनजाना करें ।
पियुष महेता ।
नानपूरा, सुरत-395001.
इस ब्लोगमें रेडियो श्रोताके रूपमें आने वाले दिनों मूझे होए वाले अनुभव , कुछ समिक्षा किसी बडी रेडियो या सिने-संगीतसे जूडी हस्ती से मुलाकात (मिल पाती है तो) प्रकाशित होगी । ज्यादा बातें रेडियो सिलोन और विविध भारती सेवा की होगी । पर कभी कभी हो सकता है कि बात रेडियो से नहीं पर जिसके कारण रेडियो है, वह संगीत के बारेमें जरूर होगी ।
मेरे बारे में
- PIYUSH MEHTA-SURAT
- 3 अक्तूबर, 1957 से विविध भारती के स्थापना दिनसे ही रेडियो सुनने की शुरूआत । ८ साल की उम्रसे ।
शनिवार, 10 मार्च 2012
10 मार्च, 2012 के दिन जानेमाने मेन्डोलिन वादक श्री महेन्द्र भावसारजीको जनम दिन की शुभ: कामनाएँ
લેબલ્સ:
पियुष महेता,
महेन्द्र भावसार,
मेन्डोलीन,
MAHENDRA BHAVSAR,
MENDOLIN,
PIYUSH MEHTA
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