इस ब्लोगमें रेडियो श्रोताके रूपमें आने वाले दिनों मूझे होए वाले अनुभव , कुछ समिक्षा किसी बडी रेडियो या सिने-संगीतसे जूडी हस्ती से मुलाकात (मिल पाती है तो) प्रकाशित होगी । ज्यादा बातें रेडियो सिलोन और विविध भारती सेवा की होगी । पर कभी कभी हो सकता है कि बात रेडियो से नहीं पर जिसके कारण रेडियो है, वह संगीत के बारेमें जरूर होगी ।
मेरे बारे में
- PIYUSH MEHTA-SURAT
- 3 अक्तूबर, 1957 से विविध भारती के स्थापना दिनसे ही रेडियो सुनने की शुरूआत । ८ साल की उम्रसे ।
शनिवार, 14 अप्रैल 2012
धन्यवाद विविध भारती । श्री अनोक डेनियेल्स द्वारा प्रस्तूत जयमाला के लिये
आज शाम विषेष जयमालामें मेरे सहबे पहेले चहीते बने हुए पियानो और पियानो-एकोर्डियन वादक , वाद्यवृंद निर्देषक श्री एनोक डेनियेल्स साहब की हाथ की कमाल की आवाझ के अलावा उनकी जबानी आवाझ सुन कर बहोत खुशी हुई । विविध भारती को बधाई । हा, उनके परिचयमें जो उनकी धूनों के अंश प्रस्तूत किये गये वो सब एक ही एल पी या बादमें आयी इसी एल पी की सीडी से थे, जिसमें एकोर्डियन के अंश बहोत कम रहे थे पर वाद्यवृंद संरचना उनकी ही है । अगर अलग अलग समय के अलग अलग रेकोर्ड्झ में अंश प्रस्तूत होते तो संकलन और भी सुंदर बनता । फ़िर भी उंको विविध भारती से सुनने की मेरी सालों की मूराद पूरी की । इस लिये विविध भारती सेवा के निर्देषक श्री रजेष रेड्डी साहब, कार्यक्रम अधिकारीणी श्री कल्पना सेठी और संयोजीका श्री तनूजा कानडे तथा अन्य माईक्रोफोन के पिछे के साथीयों बहूत बहूत बधाई के पात्र है । सब को सलाम ।
पियुष महेता ।
सुरत ।
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