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3 अक्तूबर, 1957 से विविध भारती के स्थापना दिनसे ही रेडियो सुनने की शुरूआत । ८ साल की उम्रसे ।

शनिवार, 28 अप्रैल 2012

मशहूर रेडियो-प्रसारक श्री ब्रिज भूषणजी को जनम दिन की शुभ: कामना

आज पहेली बार इस मंच पर आवाझ की दुनिया की एक मशहूर हस्ती आदरणिय श्री ब्रिज भूषणजी को मैं याद फरमा रहा हूँ, हा, पिछले साल रेडियोनामा पर इस बारेमें जरूर लिख़ा था, जहाँ से मैं निकाल दिया गया हूँ, और हैद्राबाद की श्री अन्नपूर्णाजी को भी निकाल दिया गया है
। उनके जनम दिन के उपलक्षमें । मेरी उनसे श्री अमीन सायानी साहब के सौजन्य से दूर भाषी पहचान रही है और वह इस लिये की मुम्बई बहोत बड़ा शहर होने के कारण और बाहर से हंगामी रूपसे कुछ ही दिन गये लोगों के लिये अगर बहूत सी जगह जाना होता है तो कुछ एक या दोनों और के समय संजोग के कारण मुमकीन नहीं बनाया पाता हालाकि दोनों और से सैद्धांतीक रूप से मिलने की सहमती हो तो भी,।नहीं तो आज उनका भी विडीयो इन्तर्व्यू इस स्थान से आप देख़ पाते । पर इस वक्त तो उनकी तसवीर भी मेरे पास उपलब्ध है, जिसे उपर आप दिख़ रहे है और और इसे सुरत के श्री हरीष रधूवंशीजीने मूझे बिनती करने पर अपने संग्रह से भेज़ी थी, नहीं तो मेरे मनमें भी इनकी काल्पनीक तसवीर ही बनी हुई होती अपने हिसाबसे । जहाँ तक मूझे याद है रेडियो श्री लंका से करीब 1960 में ज्न्हें फिल्म झूमरू के विज्ञापन और रेडियो प्रोग्रम में सुना था । यहाँ इस फिल्म के सप्ताहमें दो 15 मिनीट के कार्यक्रम आते थे, जिसमें बूधवार रात्री 9 बजे श्री अमीन सायानी साहब और रविवार दो पहर 12 बजे श्री ब्रिज भूषण साहब इसे प्रस्तूत करते थे । और अपना निज़ी व्यवसाय शुरू करने तक रेडियो सिलोन से अमीन सायानी साहब के सबसे अच्छे साथिदार के रूपमें लोगों की चाहना प्राप्त की थी, अन्य कार्यक्रमोमें शनिवार रात्री रेडियो कहानी और रविवार दो पहर 12.45 पर संगीत पत्रिका बारी बारी श्री कमल बारोट और स्व. शील कूमार वगैरह के साथ प्रस्तूत किये थे । उसके बाद विविध भारती से भी कई कार्यक्रम किये जो स्थानिय प्रसारणमें होने के कारण पूरे देशमें नहीं पहोंच पाये । जिसमें चेरि ब्लोसम नोक झोक उनके साथ उनकी पत्नी मधूरजी (झाहीरा) भी होती थी और इस कार्यक्रम की ओपनींग और क्लोझींग उन्होंने श्री अमीन सायानी साहब से करवाई थी,जो भी मशहूर रेडियो ब्रोडकास्टर रह चूकी है । जहाँ तक मूझे याद है उनका अंतीम रेडियो कार्यक्रम फेमीना की मेहफ़ील था और बादमें वे दृष्य माध्यम यानि टीवी की दुनियामें वोईस-ओवर कलाकार के रूपमें विज्ञापनोंमें ख़ास कर सक्रीय हो गये और रेडियो छूट गया जो श्री कमल शर्माजी के द्वारा उनकी मुलाकात आज के मेहमान अंतर्गत ली गई, तब जूडा । इस के अलावा हिन्दी फिल्मोमें संगीतकार के रूपमें उन्होंने फिल्म पठान ( उनके ससुर श्री आताउल्लह ख़ान की निर्मीत फिल्म जो उनका सम्बंध ज़ूड़ने से पहेले की थी सिर्फ एक गाना), मिलाप (दूसरी) एक नाँव दो किनारे, काम शास्त्र और संगदिल (दूसरी) संगीत दिया है । एक सुर पहेलू गायक के रूपमें फिल्म पूरब और पश्चीममें ओम जय जगदीश हरे के पहेले संस्कृत श्लोक कल्याणजी आनंदजीने ब्रिज भूषणजी से गवाये थे । डबींग कलाकार के रूपमें भी उन्होंनें फिल्म सरस्वती चन्द्रमें बंगाली भाषी कलाकार मनीष कूमार के लिये, फिल्म उपहारमें बंगाली भाषी कलाकार श्री स्वरूप दत्त के लिये और मन मेरा तन तेरा में कोलेज के प्रिन्सीपाल करने वाले कलाकार के लिये डबींग की है । श्री ब्रिज भूषण जी को रेडियोनामाकी और से लम्बे स्वस्थ और सक्रिय आयु की शुभ: कामनाएँ । पियुष महेता । सुरत ।

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