मेरे बारे में

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3 अक्तूबर, 1957 से विविध भारती के स्थापना दिनसे ही रेडियो सुनने की शुरूआत । ८ साल की उम्रसे ।

बुधवार, 28 दिसंबर 2011

वरीष्ठ उद्दघोषक श्री गोपल शमाजी को जनम दिन की बधाई और उनसे मेरी भेट का दृष्यांकन

इस रेकोर्डींग को देख़ते सुनते किसी और के बताये बिना ही मेरे ध्यानमें मेरी एक गलती आयी है कि मैनें श्री गोपाल शर्माजी की अत्मकथा के लिये गलती से ओटोबायोग्राफ़ी की जगह बायोग्राफ़ी शब्द इस्तेमाल किया है । पर भले शर्माजीने मूझे उस समय सुधारना ठीक़ नहीं समझा होगा । वैसे उनकी भाषा पर काबू का कोई जवाब नहीं है । और तीसरी बात इस रेकोर्डिंगमें केमेरा मेन यानि विडीयोग्राफर , लाईट मेन , सेट मास्तर और इन्टरव्यूअर और बाद्में सम्पादक की पाँचो भूमीकाएँ मूझसे जैसे बनाया पडा, निभाई है । तो मूल रेकोर्डिं सही होने पर भी सम्पादन के दौरान कहीं विडीयो की गुणवत्ता नीचले हिस्सेमें कहीं कहीं थोड़ी सी ठीक नहीं आयी है । तो इसके लिये क्षमा प्रार्थी हूँ । और इस निर्धारीत समय मर्यादामें काम निपटाने के लिये थकान तो होनी ही थी ।
आज यानि दि. 28-दिसम्बर के दिन रेडियो प्रसारण के एक महत्व पूर्ण पायोनियर श्री गोपाल शर्माजी की जनम तारीख़ है, तो
इस अवसर पर उनको जनम दिन की रेडियोनामा की और से शुभ: कामनाएँ देते हुए मेरी हाल ही की मुम्बई यात्रा के दौरान दि. 19 के दिन उनके बुलावे पर उनक्रे धर की गई उनके केरियर के बारेमें वातचीत को आप सुन ही नहीं पर देख़ भी पायेंगे, जो अवसर आज से तीन साल पहेले वहाँ की लोकल ट्रेईन्स की गरबडीयों के कारण खो दिया था । जो चार भागोमें बाँटना पडा है । शायद दूसरा भाग आप देख़ नहीं पाये तो इसका ऑडियो भी रख़ा जायेगा । यहाँ एक और बात बता दूँ, कि दि. 21 दिसम्बर के दिन श्री अमीन सायानी साहब को सुरत में गैरहाज़री के कारण उनको इस मंच से बधाई नहीं दे पाया पर उनको उसी दिन उनके कार्यालय जा कर बधाई देनेका सुनहरी मोका मिला ।(यह पोस्ट को आज यानि 28 दिसम्बर, 2013 के दिन सधार कर जो अलग अलग पार्ट्स में विडीयो रख़े थे इन के बदले लम्बे विडीयो की सुविधा मिलने पर एक ही विडीयो को लगा कर पुराने विडीयोको हटाया गया है ।)


पियुष महेता ।
सुरत ।

बुधवार, 21 दिसंबर 2011

जूग जूग जियो श्री अमीन सायानी साहब, जनम दिन की शुभ:कामना । एक तीन साल पूरानी दृष्य मुलाकात ।

आज रेडियो प्रसारण के बेताज बादशाह, श्री अमीन सायानी साहब, अपनी आयु के 79 साल पूरे कर के 80वे सालमें प्रेवेषे है. तो इस अवसर पर तीन साल पहेले उन के दफ़तर में उनके निमंत्रण पर उनके साथ शाकाहारी भोजन लेने के बाद की गई भेट वार्ता यहाँ श्री युनूसजी और रेडियोनामा के सौजन्य से एक बार फ़िर से प्रस्तूत है ।

सूरत निवासी पियूष मेहता रेडियोनामा के प्रेमी हैं । वे अकसर मुंबई आकर प्रसारण की दुनिया की जानी-मानी हस्तियों से मिलते हैं और उनसे बातें करते हैं । पियूष मेहता ने हाल ही में चोटी के ब्रॉडकास्‍टर अमीन सायानी से मुलाक़ात की है । आईये पियूष मेहता से उस मुलाक़ात का ब्‍यौरा जानें । पियूष भाई के आलेख को हमने संशोधित एवं परिवर्तित करके प्रकाशित किया है----यूनुस ।।



इस बार भी हमेशा की तरह मुंबई आने से पहले ही मैंने अमीन सायानी साहब से फोन पर सम्पर्क करके उनसे मिलने का समय तय करवाया लिया था । पर इस बार उन्‍होंने छब्‍बीस फरवरी को दोपहर साढ़े बारह बजे बुलवा लिया । और ये इसरार किया कि मैं दोपहर का भोजन उनके साथ करूं । और ये तस्‍दीक भी कर दी कि खाना शाकाहारी ही रहेगा । यानी मेरे मन का संशय भी अमीन साहब भी जान गये थे ।



अमीन साहब समय के पाबंद हैं । इसलिए मैंने इस बात का ख़ास ख्‍याल रखा था कि कहीं मुझे देरी ना हो जाए । मुझे इस बात की ज्‍यादा चिंता थी कि कहीं मेरे देर से पहुंचने के कारण अमीन साहब को अपने कामकाम में परेशानी ना हो । अमीन साहब के सहायक दिनेश भाई मुझे पहले से जानते हैं । कई बार अमीन साहब से मिलने जो आ चुका हूं मैं । बहरहाल....आधे घंटे पहले पहुंचने के बावजूद दिनेश जी को कोई दिक्‍कत नहीं हुई और उन्‍होंने बड़े आदर और खुशी से मेरा स्‍वागत किया ।



अब मैं अमीन साहब के कमरे में था । जाने माने ब्रॉडकास्‍टर अमीन सायानी को अपना काम करते हुए देख रहा था । बीच बीच में वो बातें भी कर रहे थे मुझसे । उनके बेटे राजिल को भी हमारे साथ ही भोजन करना था । लेकिन उनका फोन आ गया कि उन्‍हें देर हो सकती है । इसलिए तकरीबन एक बजे मैं और अमीन साहब रीगल टॉकीज़ के पास स्थित अपोलो होटेल में आ पहुंचे । अमीन साहब की सिन्‍सीयेरिटी देखिए कि कुक को बुलाकर उन्‍होंने कम मिर्च और कम तेल में अलग से भोजन तैयार करने के निर्देश भी दिये ।



मैंने झिझकते हुए कहा कि मैं उनकी वीडियो रिकॉर्डिंग करना चाहता हूं, जिसके लिये अमीन साहब सहर्ष तैयार हो गये । लेकिन उन्‍होंने कहा कि उनके स्‍टूडियोज़ या कार्यालय में ही वीडियो बनाना ज्‍यादा ठीक होगा । बातों बातों में मैंने अपने पुराने क़रीबी दोसत सुरेन्द्र रामसिंघानी का जिक्र किया जो किसी ज़माने में मुंबई के एम टी एन एल के कर्मचारी थे । मैंने अमीन साहब से बताया कि सुरेंद्र के साथ ही इत्‍तेफाक से मैं सबसे पहले उनसे मिला था । दरअसल अमीन साहब का हफ्ते भर से ख़राब था और वो काफी़ परेशान थे । सुरेंद्र ने अमीन साहब के कहने पर फटाफट एक घंटे में फोन  दुरूस्‍त करवा दिया था । जिसके बाद अमीन साहब ने सुरेंद्र को अपने दफ्तर में मिलने के लिए बुलवा लिया था । मैं भी सुरेंद्र के साथ था और पहली बार तब ही अमीन साहब से मिला था ।



इसी दौरान मैंने अमीन साहब की इजाज़त से सुरेंद्र को भी बुलवा लिया । और मेरे इसी मित्र की मदद से बातचीत का दृश्यांकन आप तक पहुंच रहा है ।  मैं आपको बताना चाहता हूं कि इस बातचीत को ASF फॉर्मेट से MPEG फॉर्मेट में बदलकर मैंने इसे चार् हिस्‍सों में बांटा है । फिर यू-ट्यूब पर चढ़ाया है । हम पेशेवर फोटोग्राफर या सिनेमेटोग्राफर नहीं हैं । लेकिन इसे संपादित करते हुए मैंने ये ख्‍याल रखा है कि बीच बीच मं हो रही गुजराती बातचीत वैसी ही रहे । ताकि आपको सहज बातचीत का आनंद भी मिल सके । पूरा लोड होने तक आपको इंतज़ार करना होगा । तभी इसे बिना किसी बाधा के देख सकेंगे । उम्‍मीद है कि इस बातचीत को देखकर आपको आनंद आयेगा ।






भाग १


भाग २


भाग ३

भाग 4


इस बात के पूरी होने पर श्री सायानीजी ने प्यार से हम दोनों को विदा किया और अपनी केबिन में अपने कुछ दफ्तरी काम में जुट गये। परन्तु अमीन सायानी जी के सुपुत्र श्री राजिलजी ने बाहर के कमरे में अपना काम निपटाते हुए कुछ और समय हमारे साथ बहुत ही निजी़ मूड में बातें जारी रखी।
जैसा मैं आपको पहले बता चूका हूँ, उनसे भी मेरी पहचान रही है और अमीन साहब की तरह राजिल भी बहुत ही मिलनसार हैं। इस तरह करीब ४ बजे हम दोनों दोस्त अपने जीवन के बेहतरीन समय की यादों की बात करते हुए एक ही बस में बैठ कर बीचमें से अलग हो गये ।

उपर तक मेरी लिख़ाई को युनूसजीने अपने सुन्दर शब्दो से सजाया है । जो वहाँ से उठा कर यहाँ सीधा रख़ा है । इस के लिये उंको धन्यवाद ।

आज रेडियो श्रीलंका-हिन्दी सेवा की उद्दघोषिका श्रीमती ज्योति परमारजीने सुबह करीब 7.30 भारतीय समयानुसार श्री अमीन सायानी साहब को जनम दिन की बधाई देते हुए अन्य श्रोता के भी नाम जो अमीन सायानी साहब को बधाई देना चाहते थे, प्रसारित किये, जिनमें एक श्रोता मैं ख़ूद भी हूँ । पर लधू तरंग प्रसारणॅ की मर्यादा को देख़ कर दिस्टोर्सन की आवाझ के कारण उद्दघोषणा की आवाह्ग थोडी घ्यान से सुननी जरूरी है । तो सुनिये,


पियुष महेता (सुरत)

रविवार, 18 दिसंबर 2011

हार्मोनियम वाद्क कांतीलल सोनछात्राजी को आअ जनम दिन की बधाई ।

आज यानि दि. 18 दिसम्बर के दिन राजकोट निवासी प्रखर हार्मोनियम वादक श्री कानतिलाल सोनछत्राजी अपनी आयु के 82 साल पूरे करके 83वें सालमें प्रवेश कर चूके है । तो इस अवसर पर उनकी हारमोनियम पर बजाई फिल्म पतिता के गीत किसीने अपना बनाके मूझको की धून जो कई साल पहले रेडियो श्रीलंका से वहाकी अस्थायी उद्दघोषिका श्री नलिनी माअलिका परेरा की उद्दग्होषणा के साथ सुन पायेंगे नीचे : (आज रेडियो स्रीलंका से प्रोग्रम प्रस्तूत कर रही थी सुभाषिनी डि'सिल्वा, जिसकी जानकरी श्रोता लोगो को पहेले से नहीं होती है । तो जब उनको यह जानकारी के लिये संदेश भेज गया तो उस आधार पर बधाई सदेश प्रस्तूत नहीं किया गया ।

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नीचे उनकी बजाए एक और धून फिल्म सफर के शिर्षक गीत की सुनिये जो विजाणू की बोर्ड से गाने की मेलोडी को पियानो के टॉन पर जन्हों ने बजाई है । जो भावनगर के मेरे स6गीत और रेडियो प्रेमी मित्र श्री बकूल शुक्ल की और से मूझे पाप्त हुई है ।


पियुष महेता । सुरत-395001.

शनिवार, 26 नवंबर 2011

बोलिवूड एकोर्डियन वादक सुमित मित्राजी को आज जनम दिन की बधाई के साथ उनसे छोटा सा दृष्य साक्षात्कार

दि.26, नवम्बर, 2011 भारतीय फिल्म संगीत जगत के जानेमाने एकोर्डियन वादकोमें से एक श्री सुमित मित्रा के जनम दिन पर आप उनसे हाल ही की गई मेरी मुलाकात और वात चीत का दृष्यांकन यहाँ प्रस्तूर है जो 22 तारीख़ को सुबह उनके धर हुई थी । (हालाकी मूझे इस विडीयो की प्रोसेसींग समाप्ती का संदेश तो नहीं मिला है पर यू-ट्यूब द्वारा समाप्ती के बाद यह विडीयो यहाँ दिख़ेगा ।)


आज यानि दि. 26 नवम्बर के दिन मुम्बई स्थित भारतीय फिल्म संगीत में अपने एकोर्डियन वादन द्वारा योगदान प्रदान करने वाले श्री सुमित मित्राजीने अपना जन्मदिन मना रहे है । मैं ख़ुश-किस्मत हूँ कि 21 (शायद?), फरवरी, 2010 के दिन बिल्लीमोरा के मेरे मित्र और वहाँ की गुन्जन ललित कला संस्थाके कर्ताहर्ता श्री नरेश मिस्त्रीजी (खूद भी एकोर्डियन वादक) द्वारा आयोजित एक फिल्म वाद्य संगीत के शो में उनके द्वारा आमंत्रित हो कर मैं मेरे मित्र सुरत के जी. रझाक बेन्ड के श्री फारूक भाई और अन्य मित्र श्री शिरीष भाई के साथ गया था और उस कार्यक्रम में सुमितजी और सेक्सोफोन, क्लेरीनेट और वेस्टर्न फ्ल्यूट वादक श्री सुरेश यादव को बहूत आनंद से सुना और देख़ा था ।

उनकी फिल्मी धुनों की आज तक सिर्फ एक रेकोर्ड उस समय की पोलिडोर नाम धारी रेकोर्ड कम्पनी ने निकाला था जिसमें फिल्म बॉबी के चार गीत उन्होंने एकोर्डियन पर नहीं पर इलेक्ट्रिक ऑर्गन पर बजाई थी, जिसमें उनकी मेरे साथ हुई बात के अनुसार एकोर्डियन पर धीरज कुमार ने साथ दिया था । जब की मूल गानेमें सुमितजीने ही एकोर्डियन बजाया है और बाद में उस इ पी रेकोर्ड को स्व. अरूण पौडवाल की बजाई एकोर्डियन पर फिल्म मेरा नाम जोकर के तीन गानो के ई पी रेकोर्ड की धून के साथ मिली जुली एल पी रेकोर्ड प्रस्तुत हुई थी । तो इस एल पी की उनकी फिल्म बोबी के एक गीत की धून का सम्पादित अंश यहाँ प्रस्तूत है ।


उस समय मुझे उनके साथ तसवीर खिंचवाने का मौका मिला था जो फारूक भाई और सुमितजी के सौजन्य से नीचे प्रस्तुत की है ।


नीचे देख़ीये और सुनिये उसी कार्यक्रम में उनके द्वारा बजाई गई फिल्म झुक गया आसमान के शीर्षक गीत की एकोर्डियन पर धुन जिसमें सिन्थेसाईझर पर बडोदरा के श्री दिलीप रावल है और पर्क्यूसन (इस शब्दमें कोई गलती हो तो सुधार बताईए) पर मुम्बईमें फिल्म उद्योग में सालों काम करने वाले श्री नरेन्द्र वकील है ।



नीचे पिछले साल आज ही के दिन रेडियो श्रीलंका पर मेरे द्वारा भेजी गई सूचना के आधार पर सुबह 7.34 पर वहाँ की उद्दघोषिका श्रीमती ज्योति परमारजी ने प्रस्तुत किया हुआ बधाई संदेश सुनिये ।



हालाकि रेडियो श्री लंका की उद्दघोषिका ज्योति परमार ही आज थी पर कई तीन दिन पूर्व सुचना भेज़ने पर भी उनकी धून वहाँ होते हुए भी आज उन्हों ने बजानी नहीं चाही, जब की रिमाइन्डर संदेश भेजने पर प्रसारणॅ समाप्ती पर मेरा और साथी श्रोता ठाणे के श्री सुभाष कुलकर्णी द्वारा भेजी गई जानकारी पर सुमितजी को बधाई तो जरूर दी गई पर हम दोनों के नाम बिना ही ।

रेडियो विश्व, फेस बूक पर रेडियोनामा, श्रोता बिरादरी, और प्रेस्टीज (सुरत) ग्रुप के इस मंच से भी श्री सुमितजी को जनम दिन की ढेर सारी शुभ: कामनाएँ ।

पियुष महेता ।
सुरत ।

शुक्रवार, 18 नवंबर 2011

पार्श्व-गायिका और रेडियो विज्ञापन प्रसारक श्रीमती कमल बारोट को जनमदिन की बधाई



(तसवीर प्राप्ती : श्री हरीष रघुवंशी )
दारेसलाम में 18 नवेम्बर, 1932 को पैदा हुई श्रीमती कमल बारोट भारत आ कर एक तरफ नये गायक गायिका की प्रतियोगीतामें हिस्सा ले कर सबसे पहेले कल्याणजी आनंदजी के संगीतमें फिल्म ओ तेरा क्या कहना के श्री सुबीर सेन के साथ गाये युगल गीत दिल दे के जाते हो कहाँ से फिल्म पार्श्व गायन के क्षेत्रमें प्रवेश कर सकी तो दूसरी और रेडियो श्रीलंका के भारत स्थित व्यापारी प्रतिनीधी रेडियो एडवर्टाईझींग सर्विसिस के स्व. बाल गोविन्द श्रीवास्तवजी द्वारा उनकी सहयोगी के रूपमें भी कदम रख़ा और बाल गोविंद श्रीवास्तव के अलावा स्व. शील कूमार के साथ भी कई फिल्मो के विज्ञापन और प्रायोजीत कार्यक्रम किये, जिसमें गीत गाया पत्त्थरोंनें, कश्मीर की कली, और सुहाग दिवान के साथ गुजराती फिल्म रमत रमाडे राम भी शामिल थी, ( कमल जी उसमें हिन्दीमें ही बोली थी, हाँ एन इवनिंग इन पेरीसमें शील कूमारजी और कमलजीने एक प्रायोजित रेडियो प्रोग्राममें फिल्म दर्शकोकी राये प्रसारित की थी, जो दर्शको की मातृभाषामें थी, इसमें एक गुजराती भाषी श्रोता के साथ वे सिर्फ़ प्रथम और अन्तीम बार रेडियो प्रसारणमें गुजराती बोली थी । हालाकि उनकी मातृभाषा गुजराती ही है और करीब चार साल पहेले मेरी उनसे मुलाकात (बाल गोविंद श्री वास्तवजी के साथ एक ही समय) हुई थी, तब काफ़ी बातें हुई थी । बादमें 1967 के बाद वे विविध भारती के मुम्बई पूना और नागपूर केन्दों के श्रोताओ तक ही विज्ञापन कार के रूपमें श्री बाल गोविंद श्रीवास्तवजी के साथ जूडी रही । और शक्तिराज फिल्म, श्री शक्ती मिल्स वगैरह प्रायोजित कार्यक्रम किये । उस दौरान पार्श्वगान तथा गैर फिल्मी सुगम संगीत हिन्दी और गुजरातीमें भी चलता रहा तथा पाकिस्तान से आये गझल गायक मेहदी हसन सहीत कई स्तेज़ शॉझ का आयोजन किया । पारसमणी का लताजी के साथ गाया गीत हस्ता हुआ नूरानी चेहरा ने लोकप्रियता की बूलंदी हासिल की । हाल वे लंडन और मुम्बई बारीबारी आती जाती रहती है । श्रीमती कमल बारोटजीको जनम दिन की शुभ: कामना और स्वस्थ लम्बे आयू की शुभेच्छा ।
पियुष महेता ।
सुरत ।

सोमवार, 14 नवंबर 2011

बोलिवूड संगीतके जानेमाने टेनर और सुप्रानो सेक्षोफोन तथा वेस्टर्न फ्ल्यूट वादक श्री श्यामराजजी को जनम दिन की शुभ: कामना ।

14 नवम्बर, 1948 के दिन काठमान्डू नेपालमें जन्में जाने पहचाने सेक्षोफोन और वेस्टर्न फ्ल्यूट वादक श्यामराजजी के श्री एनोक डेनियल्स साहब के साथ बिल्लीमोरा के श्री नरेश मिस्त्री द्वारा 21 फरवरी, 2009 के दिन अयोजीत एक कार्यक्रममें मिलनेका और दोनों को साथ सुननेका मोका मिला था, जिसका जिक्र मैं पिछली कुछ पोस्टोंमें कर चूका हूँ । जिसमें एक 16 अप्रैल, 2009 के दिन श्री डेनियेल्स साहबके जनम दिन के दिन थी और बादमें एक पोस्ट श्री श्यामराजजी से किये गये
विडीयो साक्षात्कार , जो सुरतमें किया था, तो आज उनको जनम दिन की बधाई देते हुए रेडियोनामा की मेरी पुरानी पोस्टो में से दो को यहाँ एक साथ संयोजा है जिसमें मेरे साथ की गई वातचीत का दृष्यांकन भी शामिल है ।

http://radionamaa.blogspot.com/2009/03/blog-post_14.html?utm_source=feedburner&utm_medium=feed&utm_campaign=Feed%3A+http%2Fradionamaablogspotcom+%28radionamaa%29
पर थी । और वह इस मंच पर दिख़ाया भी गया था और इन दोनों साझों पर उनके द्वारा छोटी छोटी झलके प्रस्तूत की गयी थी ।
तो आज उनको जनम दिन की ढेर सारी बधाईयाँ रेडियोनामा की और से देते हुए,
1. टेनर सेक्षोफोन पर फिल्म शोले के गीत महेबूबा की धून




तथा 2. वेस्टर्न फ्ल्यूट पर फिल्म शॉर के गीत एक प्यार का नग्मा है ।


इधर नरेशभाई मिस्त्री और गुन्जन ललित कला के सौजन्य से प्रस्तूत की है ।
श्यामराज जी ने इस धूनो को अपना स्पर्श बखूबी दिया है । उद्दधोषक थे विज्ञापन प्रसारण सेवा, विविध भारती, पूणे के स्थायी उद्दघोषक श्री मंगेश वाघमारे है {
निख़ील महामूनी (सिंथेसाईझर), विजय मूर्ती (बास गिटार ),कमल निम्बारकर (स्पेनिश गिटार), विजय अत्रे (अक्टोपेड), केदार मोरे (ढोलक और बोन्गा), डो. राजेन्द्र दूरकर (तबला), नरेन्द्र वकील (साईड रिधम) उनके सथी दार है ।
सेक्षोफोन वादक श्री श्याम राजजी से पहेली मुलाकात बिल्लीमोरा के एक स्टेज शॉ में श्री एनोक डेनियेल्स साहबने करवाई थी । और उन दोनों का संयूक्त शॉ वहाँ की कल संस्था गुंजन ललित कला निकेतन और उनके प्रमूख कर्ताहर्ता श्री नरेशभाई मिस्त्रीने प्रबंधीत किया था, जिनसे मित्रता भी श्री डेनियेल्स साहब की देन है, उसी दिन श्री एनोक डेनियेल्स साहब का और श्याम राजजी का, दोनों के विडीयो इंटर्व्यूझ करने का इरादा था और उनकी भी सहमती थी, पर हमारा शॉ के कुछ ही घंते पहेले पहोंचना, फिर रात्री भोजन करने बाहर निकलना और फिर शॉ के बाद रात्री ही सुरत की और चल पड़ना, यानि की लौट पड़्ना, इस के कारण वहाँ हो नहीं सका । पर उस शॉ की थोडी सी बात कर लूं, कि श्री डेनियेल्स साहब आज भी एकोर्डियन बजानेमें 76 साल के नौजवान है । और श्यामराज जी भी 61वे सालमें होते हुए भी अपनी मज़बूत सांस से सेक्षोफोन और वेस्टर्न फ्ल्यूट बजाते है । और वहाँ की पब्लीक का तो क्या कहना ? मैंनें कार्यक्रम शुरू होने से पहेले पिछे देख़ा था तो होल खाली लगता था । (मैं दूसरी लाईन में था ।)बादमें कार्यक्रम दौरान यकायक पिछे देख़ा तो पूरा होल भरा था, यानि शिस्तबद्ध पब्लीक था। आइटम समाप्ती पर ताल मिला कर तालियाँ और विषिष्ट आइटम्स पर वन्स मोर । दोनों कलाकारोंने सोलो और युगलबंधीमें परफोर्म किया । श्री एनोक देनियेल्स साहबने मांग के साथ तूम्हारा (फिल्म नया दौर ), बाबूजी धीरे चलना (आर पार) और हर दिल जो प्यार करेगा (संगम : जिसमें असल गानेमें इस साझ को उठाव देनेके लिये दो एकोर्डियन श्री डेनियेल्स साहबने और सुमित मित्राजीने बजाये थे ।)जैसी कई शूनें ऐसी बजाई जो उनकी रेकोर्डझ, केसेट्स या सीडी कोई रूपमें प्रकाशित नहीं हुई थी । विज्ञापन प्रसारण सेवा पूना के स्थायी उद्दधोषक श्री मंगेश वाघमारेजी का कम्प्रेरींग भी बहोत बढ़िया रहा । श्री श्यामराजजीने भी राहूल देव बर्मन साहब के कई गानो को अपने साझ पर बख़ूबी अन्जाम दिया । पूरानी वेस्टर्न धून टक़ीला को इन दोनो कलाकारो ने बहोत सुन्दर तरीके से पेष किया । और इसके साथ श्री डेनियेल्स साहब का सुरतमें 39 साल पहेले देख़ा शॉ याद आ गया जिसमें भी यह धून उन्होंने बह्जाई थी । साउंड पहली लाईन में भी सह्य रहा यह इस शॉ की बड़ी बात रही । यह शो दि. 21वी फरवारी, 2009 का था ।
उसके बाद श्री नरेशभाईने फोन पर दि. 8 मार्च, 2009 के दिन बताया की श्यामराज जी सुरत 9 तारीख़ के के शॉमें आ रहे है, यो श्यामराजजी से सम्पर्क होने पर उन्होंने बताया । बह शॉ सुरत के पप्पू म्यूझीक गृप द्वारा स्व आर. डी बर्मन साहब के मानमें था । और मुम्बई सिने म्यूझिशियंस एसोसियेशन के साथ जूडे हुए कई दिग्गज बादक कलालार आने थे । तो मैँ शाम 6.15 पर उनकी सेटिंग के वक्त पहोंचा तो श्यामराजजीने मेरे कहने पर तूर्त ही सहमती जटाई छोटा इन्टर्व्यू देने के लिये और दोनों साझो पर छोटे टूकडे बजाने के लिये, जो खास रेडियोनामा के लिये है ।

तो अब देखीये मेरे साथ श्री श्यामराजजी की बातचीत (जो उनके साथ आये वायोलिन वादक श्री आसिफ़ अनसारी के केमेरा मेन की तरह सहयोग देने के कारण शक्य हुई है, इस लिये आसिफ़जी को भी धन्यवाद ) :



इसके बाद रात्री 9.30 पर शॉ हुआ तो गायक, साझिन्दें सभीने जम कर परफोर्म किया । हाँ साउंड थोडा कम होता तो और भी मझा आता ।

पियुष महेता ।
सुरत ।

सोमवार, 10 अक्टूबर 2011

फिल्मी दुनिया के माऊथ ओरगन वादक श्री मदन कूमार (शर्मा)जी को 10 अक्तूबर (1943) जनम दिन की शुभ: कामनाएँ ।

आज एक समय के प्रसिद्ध रूपसे सक्रीय और आज पूणेमें हार्मोनिका गुरू के रूपमें कार्यरत श्री मदंन कूमारजी को जनम दिन की शुभ: कामना देते हुए नीचे उनकी माऊथ ओरगन पर बजाई हुई फिल्म एन इवनींग इन पेरीस के शिर्षक गीत की धून जो उस समय यानि 1968 में ज्यादा तर होते हुए मोनो रेकोर्डिंग के रूपमें प्रस्तूत की है, और यह रेकोर्ड उनका प्रथम जारी हुआ (इपी) रेकोर्ड था । जो उन्हीके सौजन्य से भेट के रूपमें प्राप्त एक एम्पी 3 सीडी से उनके कवर फोटो का सहारा ले कर विडीयो स्वरूपमें प्रस्तूत की है ।



और एक और धून भी प्रस्तूत है जिसका रेकोर्ड या सीडी बाझारमें नहीं आया है और फिल्म मर्डर के गीत से यह धून है । जो उनके शिक्षार्थी को शीख़ाने के लिये उन्होंने बजाई है ।

तो मदन कूमार जी को जनम दिन की शुभ: कामनाएँ । और उनका स्वास्थ्य 100 साल तक अच्छा रहे और धूने बजाते रहे वैसी शुभ: कामनाएँ ।

इन्टर नेट से स्काईप द्वारा उनका एक विडीयो इन्टर्व्यू चाहा था पर वे ऋतू परिवर्तन से हो रहे वाईरल इन्फेक्सन से हाल ही में उठ पाये है और दवाई के मरीझ को मूड-लेस बनाने वाले असरमें है, जिस प्रकार का अनुभव मूझे काफ़ी रहा है । तो सैद्धन्तीक रूप से तय है कि इस प्रकार बात करनी है और तब आप उनको बजाते भी देख़ पायेंगे, अगर हमारी चाहत भगवान की भी चात रही तो, और तब इसी पोस्ट को संवर्धित किया जायेगा ।
संवर्धन :
आज रेडियो श्रीलंकाकी उद्दघोषिका श्री पद्दमिनी परेराजीने भारतीय समयानुसार सुबह सात बजे मेरेनाम और मेरे ठाणे निवासी गुजरातीमें माहीर श्रोता मित्र श्री सुभाष कुलकर्णी के नाम बधाई संदेश प्रस्तूत कर के मदनकूमारजी को अपनी और से भी बधाई प्रस्तूत की जिसकी ध्वनिमूद्री यहाँ प्रस्तूत है ।

और आज पहेली बार स्काईप पर सुबह 10 बजे मैं श्री मदन कूमारजी से विडीयो टॉक कुछ एक दो मिनीट के लिये कर सका । इस बात की ख़ुशी है ।
पियुष महेता ।
सुरत ।

गुरुवार, 15 सितंबर 2011

बोलिवूड अभिनेता-निर्देषक श्री क्रिष्नकान्तजी -आप जीयो हज़ारो साल-जनम दिन म्बारक

आदरणीय पाठक और दर्षक गण,

आज हिन्दी, गुजराती, बांगला और अंग्रेजी फिल्मो तथा नाटक और छोटे परदे के अभिनेता और निर्देषक आदरणीय श्री क्रिस्नकान्तजी नवासी साल पूरे करके अपना नव्बेवाँ जनमदिन मना रहे है तो इस अवसर पर उनको बधाई देते हुए और उनकी लम्बी पर स्वस्थ आयु की शुभ:कामना करते हुए उनसे इस अवसर पर उनकी फिल्मी यात्रा के बारेमें मेरे द्वारा की हुई बातचीत को नीचे देख़ेंगे ।

तो पहेला भाग देख़ीये ।

और अब दूसरा और अंतीम भाग देख़ीये ।

और अब उपर वाली बात चीत का श्राव्य वर्झन सुनिये ।

और अब रेडियो श्रीलंका-हिन्दी सेवा द्वारा श्री क्रिष्नकांतजी के जनम दिन पर श्री पद्दमिनी परेराजी द्वारा प्रस्तूत पूरानी फिल्मो के गीतो के कार्यक्रम के एक हिस्से को सुनिये जो मेरे द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर है ।
और अब सुनिये विविध भारती की विज्ञापन प्रसारण सेवा के सुरत केन्द्र के फोन इन कार्यक्रम हल्लो सुरत एफ एम स्पीकींग (प्रस्तूती – रूपेश दवे) का मेरी क्रिष्नकान्तजी के बारेमें गुजरातीमें बात और फरमाईश सुनिये (प्रसारीत 13-09-2011).

और अब बडोदरा निवासी लेख़क पत्रकार श्री बिरेन कोठारी के ब्लोग पर उनका गुजराती लेख़ कुछ क्रिष्नकान्तजी के फिल्मी सीन्स को देख़ें ।
http://birenkothari.blogspot.com/2011/09/blog-post_14.html



और इस बातचीत में समय मर्यादा के कारण जो फिल्मो और नाटको तथा टीवी धारावाहीको के बारेमें बाते छूट गई है, यानि अवकाश नहीं मिला उन के साथ पूरी फिल्मोग्राफ़ी नीचे आप देख़ और पढ पायेंगे, जिसको तैयार करनेमें सुरत के हम सब के मित्र तथा भारतीय फिल्मों के अंकसास्त्री तथा इतिहासकार और कई पुस्तको के संयोजक और संकलनकार वैसे श्री हरीष रघुवंशी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है । क्यों की कई कलाकार, जिनको अपनी पिछली पूरानी फिल्मो की सम्पूर्ण बातें अगर याद नहीं आती है तो वे श्री हरीषभाई का सम्पर्क करते है । (यहाँ एक बात का जिक्र करना जरूरी है कि इसी नाम के अन्यकलाकार भी थे जिनका असलीनाम कुछ और था, पर हमारे आज के क्रिष्नकान्तजी से वे क्छ सिनियर थे, पर एक फिल्ममें वे दोनों साथ साथ हो गये थे तब उन्होंने अपनी पहचान अपने असली नाम स ही बनानी शुरू कर दी थी ।

पियुष महेता ।
सुरत ।

रविवार, 28 अगस्त 2011

20 अगस्त, 2011-विश्व श्रोता दिन -पैठन महाराष्ट्र में -उमरख़ॆड से अबिजीत गबनकर की नज़्हरों से

अभी कुछ समय पहेले पैठन महाराष्ट्र में ता. 20 अगस्त के दिन आयोजित और विविध भारतीके वरिष्ठ उद्द्धोषक श्री अशोक सोनावणे द्वारा संचालित रेडियो श्रोता सम्मेलन का आलेख़ नीचे प्रस्तूत है । भविष्यमें अगर इस कार्यक्रम की रेकोर्डिंग्स प्राप्त होगी, तो इसे इस मंच पर पूरा या आंशिक दिख़ाया जायेगा ।

आदरणीय पियूष मेहता जी ,नमस्ते

श्रोता दिन २० ऑगस्ट

२० अगस्त को प्रतिष्ठान रेडिओ श्रोता संघ पैठन महारास्ट्र में श्रोता दिन बड़े धूमधाम से मनाया गया.२० अगस्त लिस्नर्स डे के लिए प्रमुख मेहमान हमारे विविध भारती के वरिस्ट उदघोषक अशोक सोनावनेजी को प्रतिष्ठान रेडिओ श्रोता संघ द्वारा आमंत्रित किया था . प्रतिष्ठान

रेडिओ श्रोता संघ के अध्यक्ष राजेंद्र लोहारे,उपाध्यक्ष राजेंद्र कोलते,बजरंग काले,नानासाहेब काकडे,संजय सोनारे,लक्समन ज़िनजुरके,रघुनाथ शेलके,आबा साहेब डोंगरे, बबन नाइक,भाऊ साहेब धोंगडे इन्होने बड़ी मेहनत की पैठन के श्रोता भाई सुरेश जाधव् ने यह श्रोता सम्मलेन आयोजित किया था. इस कार्यक्रम में समिलित होने के के लिए २०० श्रोता महारास्ट्र तथा मध्य प्रदेश से आये थे,इस सम्मलेन में उमरखेड के अभिजीत गव्हानकर ,रज्जाक खान,यवतमाल के राहुल मनवर ,विनोद धवले,पोपलवाद, हलनी जिला नांदेड के एस.के.पाटिल बिड के प्रकाश पगारिया,किशोर उबाले,

परली के म़ा.आर.जी. फड,औरंगाबाद के जग्गनाथ बस्सये,बाहुबली फूरसुले, नवाब दानापुरी,कोपरगाँव के पेंटर दारूवाला,अकोले के सुनील साठे, बालमटाकली के राधाकिशन भिसे, नंदकुमार अदवत ,अम्भई के अनिल घोडके,शिर्डी केनंदकिशोर गाडेकर , भोंनगाँव के श्रीकृष्ण भारसाकले परभणी के संजय मुरुम्बेकर,भगवन खोतकर, बिड के पोपट कुलथे,नंदकिशोर घटे,घनश्याम टेकवानी , कीसन सपकाल,सुनील जोजारे,ठाकुर सुरेंदर सिंग, परली के शिवदास गलंडे,सेलुबजारके दत्तात्रय लकड़े,नन्दुराके उमेश गुजर,बोराला के आदिनाथ वाघ,सेलु परभणी के चंदू कुलकर्णी, वारंगा के पांडुरंग मोरे,हदगांव के लक्ष्मण चाकोते,शंकर गिरबिड़े,वाकोड़ी के उत्तम जम्धाड़े,सदाशिव थोरात,अर्धापुर के वामन दहाले,मारोती पांचाल,हदगांव के बालू घडबले, और कई श्रोता थे जिनका यहापर जिक्र नहीं कर रहा हूँ. मध्य प्रदेश से बलवंत कुमार वर्मा,धाकड़, ,

सुबह चाय नास्ता होने के बाद ११.३० को कार्यक्रम संगीत की देवी सरस्वती के पूजन से हुवा.विविध भारती के वरिस्ट उदघोषक अशोक सोनावनेजी ने पूजा की इस कार्यक्रम में समिलित होने के लिए बिड आकाशवाणी के अधिकारी आये थे.विजय पारगावकर ,अनिल मगर,प्रकाश पगारे,जाधव ,प्रीती सवाई ,अहमदनगर के संतोष मते,औरंगबाद के अनंत काले ,अकोला के बाळकृष्ण बिडवाई सभीने अपने भाषण में अपने मौलिक विचार श्रोताओ तक पहुचाये.श्रोता दिन का विशेषता बताई.सभी श्रोताओ का स्वागत तथा परिचय मंच पर किया गया.श्रोताओ ने रेडिओ सीलोन की यादे ताज़ा की. उमरखेड के श्रोता अभिजीत गव्हानकर ने विविध भारती के मनमानी रवये पर कड़ी आपति जताई.कार्यक्रमों में सूधार लाने के लिए निवेदन किया.हलनी के म़ा.एस.के.पाटिल ने सीलोन के भूतपूर्व उदघोषक विजय शेखर से बाते कराइ.औरंगाबाद के जगनाथ बस्सये जी ने अमिन सायानी जी से बाते की.अकोला के केंद्रनिर्देशक ने फरमाइशी प्रोग्राम बंद किये थे,श्रोताओ के अनुरोध पर फिरसे दोनों कार्यक्रम शुरू करने का वादा किया,श्याम ५ बजेतक प्रोग्राम चलता रहा.सभी उदघोषक भाई को पैठन की याद रहने के लिए तोहफा दिया गया ,पुराने श्रोता को शाल देकर सन्मानित किया गया ५ बजे सभीने भोजन का आस्वाद लिया.और सभी श्रोता अपने अपने मंजिल पर चल पड़े.हर साल श्रोता दिन मनाने की परम्परा चलती रहे.

अभिजीत गव्हानकर ,मेहेर नगर उमरखेड

जिला- यवतमाल 445206

शनिवार, 20 अगस्त 2011

यादें रेडियो सिलोन की - लेख़क और सम्पादक श्री मनोहर महाजन - मेरे लिये एक दुउ:खदायी अनुभव

आदरणीय पाठक गण,

आज विश्व श्रोता दिन के अवसर पर सभी श्रोतागण को बधाई और आज के दिन कई शहरों में कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है, जिसमें महाराष्ट्र के पैठण शहरमें हमारे विविध भारती के चहीते उद्दघोषक श्री अशोक सोनावणेजी मंच संचालन के लिये आयोजको द्वारा आमंत्रीत किये गये है जिसे मूझे उमरख़ेड के श्री अभिजीत गोवनकरजीने विडीयो चेट के दौरान बताया था और वे ख़ूद जाने वाले है । इसी प्रकार एक कार्यक्रम बडोदरा में भी श्री मनोहर महाजन द्वारा संचालित किया जानेवाला है । और आज ही के दिन पिछले वर्ष उनकी किताब 'यादें रेडियो सिलोन की' रायपूरमें उनके द्वारा लिख़ीत और सम्पादीत जयपूर के वान्गमय प्रकाशन के श्री राजेष अग्रवाल द्वारा प्रकाशित की गई थी, जो मूझे इसकी किमत भेजने पर समय से पूर्व प्राप्त हो गई थी । इस बूकमें श्री मनोहरजीने कई बड़ी प्रसारक हस्तीयों और हम जैसे आम श्रोताओं के अपने उनके साथ वाले या एकल फोटो के साथ अपनी राय मांगी थी जो मैनें भेजी थी उसका मूल स्वरूप और बादमें प्रकाशित स्वरूप कहाँ से कहाँ उनके नादान सहायकोने विकृत कर दिया उसकी कहानी यहाँ नीचे सब के सब चित्र पढ़ कर आप को मालूम होगा कि मूझे उनके अणघड सहायकोने कैसे नीचे गिरा दिया है । यहाँ जब उसी सेरिमंनी के दौरान यह गलती की स्पस्टता करने को एस एम एस भेजा था तब उन्होंनें सामूहीक गलतियों का ही जिक्र करके आस्वासन दिया था कि नयी एडिसनमें यह गलतियाँ सुधार दी जायेग़ी, और मेरे एस एस के द्वारा फ़िर बादमें याद कराने पर वही बात कही गई । पर आज तक़ नयी एडिसन नहीं आयी और मूझे आने की सम्भवना नहीं दिख़ाई पड़ रही है । और अब तक की बिक्री से किताब पाने वाले मूझे ज्यादा कमअक्कल मानेंगे उसकी जवाबदेही किसकी ! महाजन साहब ही आख़री जवाबदार रहते है । रेडियो, टीवी और मंच संचालनमें उनकी होशियारी को यहाँ नीचा दिख़ाना मेरा कोई इरादा नहीं है और किताबमें अपनी बातों को उन्होंनें करीब 25% ही स्थान दिया है , जब कि अन्यो6 द्वारा कि गई उनकी तारीफ़ को ज्यादा जगह मिली है । पत्रों को सम्पादीत करे, जगह के हिसाब से वहाँ तक कोई विवाद नहीं है पर इस प्रकार विकृत करते है जैसे मेरे नाम श्री एनोक डेनियेल्स के हाथों से अपना प्रिय पियानो-एकोर्डियन छिन कर इलेक्ट्रीक गिटार थमा देना यह कैसे माफ़ किया आ सके ? अन्य गलती आप इस पन्ने की स्केंन कोपी नीचे कित्रोमें से एक पर देख़ेंगे मेरी बोलपेन रिमार्क्स के साथ तो आप को इसकी गम्भीरता तूरंत ख़याल आयेगी ।
अब मेरे मूल पत्र की प्रत पढीये जो उनसे मेईल से जेपीजी और पीडीएफ दोनों रूप से भेजी थी ।

और इस किताब के मेरे हाथमें आने के बाद और जारि करने के समारंभ के पहेले मेरे द्वारा उनसे और उनके प्रकाशक श्री राजेष अग्रवालजी से किये गये मेईल को भी पढ़ीये । हालाकि राजेषजी बहूत उमदा स्वभावके है और कई बार मूझे फ़ोन करके बात कर चूके है ।





पियुष महेता ।
सुरत-395001.

शुक्रवार, 5 अगस्त 2011

एक नयी शुरूआत : जानेमाने रेडियो श्रोता राजकोट के श्री मधुसूदन भट्ट से एक चर्चा

आदारणीय पाठक-गण,

रेडियोनामा ब्लोग की मेरे द्वारा लिख़ी भूतकाल की कई पोस्टो पर जानिमानी कई रेडियो-प्रसारको या फ़िल्मी वादक कलाकारों या हिन्दी फिल्मों के इतिहास के संशोधनकर्ताओं से मेरी बातचीत को आपमें से कई लोग देख़ चूके होगे और यह सिलसिला भी समय समय पर जारि रहेगा जैसे जैसे मूझे ऐसे संयोग प्राप्त होगे । पर आज एक नयी बात इस प्रकार होगी कि इस श्रृंखलामें जानेमाने रेडियो श्रोता से साक्षात्कार की भी शुरूआत हो रही है और इसे रेडियोनामा पर रख़ने के इरादे से करीब एक साल पहेले रेकोर्ड (यानि दृष्यांकीत किया था । पर जनम तारीख़ और मृत्यू तिथी के बारेमें समय समय पर पोस्ट प्रकाशित करने के सिलसिलेमें और एक सामुहीक ब्लोग के सदस्य होने के नाते इसे प्रकाशित करना थोडा विलम्बीत हो गया था कि रेडियोनामा का स्वरूप बदल दिया गया और वहाँ इसे प्रकाशित करने की कोई गुंजाईश ही नहीं रही । यहाँ मेरा ऐसा कहने का कोई इरादा नहीं है, कि वहाँ के परिवर्तन से कुछ अच्छा नहीं हुआ है और मानता भी हूँ कि काफ़ी नयी नयी बातें कई लोगोसे जाननी भी मिली । पर मिडीया कर्मी और आम श्रोता के संयोगोमें आभ धरती का अन्तर होगा और फिल्मी नगरी में रहेने में और वहाँ से काफ़ी दूर होने भी काफ़ी संयोग बदल जाते है । हा, सुरत मुम्बई से देश के अन्य इलाकों के मुकाबले कुछ नज़दीक जरूर है और इसका एक हद तक लाभ मूझे जरूर मिला है । तो इस प्रकार शायद प्रसार माध्यम कर्मी लोगो की नझर से शायद आम पर मूझ जैसे आम श्रोता की नझरमें उँचे प्रकरके श्रोता में से एक वैसे राजकोट निवासी श्री मधुसूदन भट्ट के एक मुलाकात यहाँ प्रस्तूत की है जो उनकी मेरे धर उनके आने पर एक याद के रूपमें ली गई थी ।

तो सुनिये और देख़ीये श्री मधुसूदन भट्ट को मेरे साथ :



अगर आप सिर्फ़ सुनना ही चाहते है तो ध्वनिमूद्री नीचे प्रस्तूत की है ।


आपका दोस्त,
पियुष महेता ।
सुरत-395001.

रविवार, 31 जुलाई 2011

'यादें महम्मद रफ़ी' रेडियो पर 'जायेगा जब जहाँ से' (फिल्म मोती महल)

आज रेडियो श्री लंका और आकाशवाणी के कई केन्दों ने स्व. महम्मद रफ़ी साहब को श्रद्धांजली प्रस्तूत करते हुए कई कार्यक्रम पूरे दिन प्रसारित किये और रात्री भी होते रहेगे । पर एक बात इस बार ख़ास नझर में आयी कि उपर लेख़ के शिर्षक में बताया हुआ गाना मैनें अपने संग्रहमें कुछ महिने पहेले संगीतकार हंसराज बहल के श्रद्धांजली कार्यक्रम से रेडियो सिलोन से नेट प्रसारण से पाया था । जब कि विविध भारती से आज हमारे साथी श्री युनूस ख़ान द्वारा माईक्रोफ़ोन से प्रस्तूत विषेष फोन (कि वास्तव में फोन आऊट ?) कार्यक्रममें प्रस्तूत हूआ जो विविध भारती से कम से कम मेरे सुननेमें पहली बार आया । तो सवाल यह उठता है कि विविध भारतीने अब भी ऐसे कई गाने अपने पास चूस्त रूप से दवा कर रख़े है जो कभी चूस्ती कम होने के कारणॅ एकाद बार ही सुनने मिलते है । इस गाने के लिये अतिरीक्त जामनकारी इस प्रकार है कि इसे रफ़ीजी का साथ उस बार की मधूबाला झवेरी और आज की मधूबाला चावला (जिसे करीब लम्बे समय पहेले मूम्बई के एक पुस्तक प्रकासन सम्हारोहमें प्रेक्षागार से मंच पर देख़ने और सुनने का मोका मिला था ) है और इसे हंसराज बहलने संगीत से संवारा है और गीतकार असद भोपाली है । जो बात आज के कार्यक्रम में स्वाभाविक रूप से ही नहीं चर्चीत हुई । तो इस बात के तीन और उदाहरण है ।
(1) दिल दिल से मिला कर देख़ो -फिल्म मेम साब, गायक स्व. किशोर कूमार और संगीत मदन मोहन का जो सिर्फ़ सालो पहेले किशोरदा के लिये विषेष हल्लो फरमाईश कार्यक्रममें मेरी फ़रमाईश पर प्रथम और अंतीम बार बजा था । ( जो रेडियो सिलोन द्वारा मेरे जाननेमें आया था कई सालों से)
(2) मूना बड़ा प्यारा (फिल्म-मूसाफ़िर, गायक किशोर कूमार संगीत स्व. सलिल चौधरी और गीत स्व. शैलेन्द्रका और फिल्म ऋषिकेश मुकरजी की निर्देशित ) जो स्वर्णजयन्ती के विषेष मन काहे गीत में विविध भारती से प्रथम और अब तक की अंतीम बार बजा था । (यह गामा भी रेडियो सिलोन से कभी कभी बजता रहा है ।)
(3) याद किजीये युनूसजी द्वारा प्रस्तूत कुछ समय पहेले का जिज्ञासा कार्यक्रम जिसमें टाईपराईटर के उत्पादन पर उत्पादको द्वारा रोक की बात युनूसजीने की थी तब एक झलक बजी थी 'टाईपराईटर हिप (4) करता है जो मैनें रेडियो सिलोन से पाया है फ़रमाईश करके और इसको किशोर और आशाजी की सदाबहार जोडीने गाया है, इन्ग्लीश फिल्म बोम्बे टॉकी के लिये जिसे संगीत से सजाया है शंकर जयकिसन ने ।
तो इस प्रकार कई उदाहरण आने वाले दिनोंमें भी मिलेंगे । क्या यह रीत सही है कि ऐसी चीजों को चिपाके रख़े विविध भारती की केन्द्रीय सेवा ?
स्व. महम्मद रफ़ी साहब को रेडियो विश्व की और से भी श्रद्धांजलि पर इस बारेमें सारे दिन कई जगहों से इतना कहा और लिख़ा गया है कि मैं कुछ नया नहीं लिख़ सकता ।
पियुष महेता ।
सुरत -395001.

बुधवार, 13 जुलाई 2011

हिन्दी फिल्म संगीत के महान सेक्षोफोन वादक स्व. मनोहरी सिंध- प्रथम पूण्य तिथी पर विनम्र श्रद्धांजली

आज भारतीय फिल्म संगीत के महान सेक्षोफोन और वेस्टर्न फ्ल्यूट वादक स्व. मनोहरी सिंध की मृत्यू को एक साल बित गया और अभी ऐसा लगता है कि कल की बात हो । तो आज रेडियो विश्व पर उनको श्रद्धांजली अर्पीत करते हुए उनकी फिल्मी जीवन के शुरूआती दौर की एक 78 आर पी एम रेकोर्ड में से फिल्म समाधी के गीत गोरे गोरे ओ बाँके छोरे की सेक्षोफोन पर उनकी बजाई हुई धून का अंश प्रस्तूत करता हूँ, जो कुछ ही समय पहेले रेडियो श्रीलंका- हिन्दी सेवा की ताझा उद्दघोषिका श्रीमती रूबी स्मिता द्वारा वाद्य संगीत कार्यक्रममें प्रस्तूत की गई थी, जो मूझे एस एल बी सी के इन्टरनेट प्रसारण में से प्राप्त हुई है । इनके बारेमें अन्यत्र कई बातें लिख़ी गई है और विविध भारतीसे उनकी मुलाकातों में भी उन्होंने खूद कहीं है उनको यहाँ दोहरानेका इरादा नहीं है ।

पियुष
महेता
सुरत-395001.

शनिवार, 2 जुलाई 2011

एक सर्वे- मेट्रो शहरोंमें विविध भारती श्रवण की स्थिती

आज देरीसे ही सही मुन्ना कूमार यादवजी का सर्वे पर प्रतिभाव पढ़ा और साथ भारतीजी की टिपणी भी देख़ी । पर इन दोनों को ज्ञात होना चाहीए कि मेट्रो शहरोमें सिर्फ़ बेन्गलोर में ही विविध भारती एफ एम पर प्रसारित होता है, जब कि मूम्बई, दिल्ही, कल्कत्ता और चेन्नाईमें मध्यम तरंग पर । और इन चारों शहरोमें आकाशवाणी के दो दो एफ एम रेईनबो और एफ एम गोल्ड सहीत अन्य नीजी कई चेनल्स एफ एम पर प्रसारित् होते है । और इससे पूरा एफ एम बेन्ड ऐसा भर जाता है कि जरासी सूई घूमी की स्टेशन बदल गया । तो आज मोबाईल के यूगमें मिडीयम वेव पर कौन सुन पायेगा जो मुम्बईमें भी दक्षिण मुम्बई से प्रसारित होते हुए भी मलाडमें ट्रान्समीटर होने के कारण सिर्फ़ उत्तर मुम्बईमें ही सही रूपसे आज सुनाई पडता है ? सरकारी नितीयाँ ही कुछ ऐसी होती है कि समझमें नहीं आती या मनमें कुछ ज्यादा समझमें आती है पर बोल नहीं सकते । मेरी मुम्बई यात्रा के दोरान मूझे विविध भारती सिर्फ़ विविध भारती स्टेशन पर ही ड्यूटी रूम, या उद्दघोषको ( प्रसारण कक्ष की बात यहाँ नहीं है, क्यों कि सजीव प्रसारण दौरान वहाँ जाया नहीं जाता, सिर्फ कन्ट्रोल रूम से दिख़ता और सुनाई पडता है । ) के रूम को छोड़ सारे शहरमें सुन नहीं पाते, जब कि काफ़ी लोगो के पास शॉर्ट वेव और मिडीयम वेव वाले रेडियो ही नहीं होते है । तो इस सर्वे में कोई गलती मूझे नहीं दिख़ती है ।

पियुष महेता ।

नानपूरा-सुरत-395001.

मंगलवार, 28 जून 2011

रेडियो श्रीलंका हिन्दी सेवा नेट पर अभियंता दल की मर्ज़ी अनुसार

आदरणीय पाठक गण,

आज इस मंच पर यह मेरी पहली पोस्ट है । आज तक़ रेडियोनामा पर मैं लिख़ता चला आया हूँ । पर अब वहाँ रेडियो प्रसारण से सक्रीय रूप से जूड़े लोगो की सक्रीयता बढ़ी है वह एक रूप से अच्छी बात तो है ही, पर इस कारण उन लोगो की पोस्ट को तीन चार दिन प्रथम पन्ने पर रहेने देने के एक तरफ़ तक़नीकी दल आग्रही है तो दूसरी तरफ़ हम जैसे लोग इस मर्यादा का पालन करते है और इस पश्चात ही अपनी पोस्ट रख़ते है तो इस प्रकार के दूसरी या तीसरी कोटी के पोस्ट लेख़को को यह सहूलीयत नहीं मिलती है और किसी व्यक्ती विषेष के जनम दिन या मृत्यू दिन पर (यह ख़ास तौर पर अनसंग हीरोझ की बात है) तो तक़नीकी दल हमारे लिये बनाये नियमो का आग्रह रख़ता है तो मूश्कील होती है । तो इस लिये इस मंच का बनाना जरूरी माना है । अगर रेडियोनामा का तकनीकी दल इस मंच को अपना हिस्सा मान कर लिन्क रेडियोनामा से जोडना पसंद करता है तो खूशी की बात है । एक और बात की रेडियोनामा दल मेरी लिख़ाईमें मात्रा की गलतियोँ पर ज्यादा ध्यान देता है और कंटेन्ट्स पर थोडा कम, और वे अपनी जगह सही भी है । पर यह एक मेरी मर्यादा समझो, कि कभी मेरी इस विषय के ज्ञानमें कमी के कारण या कभी समय अभाव के कारण जल्दबाजीमें या कभी थक़ान के कारण जल्दबाजीमें मेरे लिये इस विषयमें सम्पूर्ण सही रहना मूमकीन नहीं हो पाता है । इस लिये वाचक क्षमा दे । इतनी बात कह कर मूल विषय पर आ जाता हूँ, कि रेडियो सिलोन यानि रेडियो श्रीलंका की सुबह की हिन्दी सेवा सत्तावार रूपसे तो नेट पर ओन लाईन प्रसारित होनी है, पर कभी देरी से या कभी बिलकूल नहीं या कभी शुरू हो कर बंद हो जाना या कभी प्लेयर का अपने आप रूक कर फ़िरसे प्ले करना पड़ना यह रोज़ की बात बन गई है, जब की रेडियो सिलोन की अन्य भाषाओं के नेट प्रसारण में इस प्रकार कोई रूकावट बार बार नहीं होती और 25 मीटर या 41 मीटर को भी डिजीटल रेडियो पर ट्यून करके पहेले से रख़ते है तो कभी बहोत ही धीमी आवाझ फूल वोल्यूम पर मिलती है या कभी बिलकूल नहीं मिलती है, जो यकायक 6 से 6.20 बजे के बीचमें इस तरह सही रूप से शुरू हो जाती है, जैसे ट्रांस्मीटर देरी से ही ऑन किया गया हो, और इन दोनों सेवा के लिये ओल इन्डीया रेडियो के ट्रांस्मीसन एघ्झीक़्यूटीव की तरह मोनीटरींग नहीं होता है और श्रोता लोग के फोन कोल्स पर ही उद्द्घोषिकाएँ कार्यवाही करवाती है । तो यह सब हिन्दी प्रसारण में ही क्यो ? यह तो श्रीलंका ब्रोडकास्टींग कोर्पोरेशन की जगह वहाँ तक सिर्फ़ श्रीलंका स्तूडियो कोर्पोरेशन हो जाता है । और अमरिका जैसे श्री लंका से शॉर्ट वेव प्रसारण की मर्यादा बाहर के देश के हिन्दी भाषी श्रोता नेट पर अप्राप्यता के हाल में कैसे बेहाल होगे !